नई दिल्ली: पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद का समर्थन कोई नई बात नहीं, लेकिन अब एक बार फिर इसका सीधा सबूत उस समय सामने आया जब पाकिस्तानी नेता चौधरी अनवारुल हक ने एक वायरल वीडियो में भारत पर हुए आतंकी हमलों की खुली जिम्मेदारी ली. हक ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादी लाल किले से लेकर कश्मीर के जंगलों तक हमले कर रहे हैं.
हक द्वारा लाल किले का जिक्र हाल ही में 10 नवंबर को दिल्ली के पास हुए कार विस्फोट से संबंधित है, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई थी. इस हमले का मास्टरमाइंड डॉ. उमर उन नबी था, जो जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े एक सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा है. यह मॉड्यूल हमले से ठीक पहले फरीदाबाद में पकड़ा गया था. वहीं कश्मीर के जंगलों का हवाला अप्रैल में पहलगाम की बैसरन घाटी में पर्यटकों पर हुए उस हमले को दर्शाता है, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी.
वायरल वीडियो में हक कहते सुने गए कि अगर आप बलूचिस्तान को तबाह करेंगे, तो हम लाल किले से कश्मीर के जंगलों तक भारत पर हमला करेंगे. अल्लाह की मेहरबानी से हमने यह कर दिखाया है और वे अभी भी लाशें गिन नहीं पा रहे. उनके बयान से साफ है कि पाकिस्तान भारत में आतंकवाद को अपनी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मानकर उसे समर्थन देता आया है.
#BREAKING: Former Pakistan Occupied Kashmir PM Chaudhary Anwar Ul Haq admits Pakistan role in Delhi Red Fort bombing, says I had warned earlier that we will hit India at Red Fort and our brave men have done it. Haq was PM till two days ago. Says India unable to count dead bodies. pic.twitter.com/69bOQ2EsH0
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) November 19, 2025
पाकिस्तान लंबे समय से बलूचिस्तान में उठ रही आवाजों और आर्थिक संकट से ध्यान हटाने के लिए भारत पर आरोप लगाता रहा है, जिसे भारत लगातार सख्ती से खारिज करता रहा है. पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कड़ा कूटनीतिक दबाव बनाया और सिंधु जल संधि को निलंबित किया. भारत ने साफ कहा कि यह संधि तभी दोबारा लागू होगी जब पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को रोकने के कदम उठाएगा.
यह भी पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान के भीतर से ही आतंकवाद को बढ़ावा देने की स्वीकारोक्ति आई हो. हाल ही में खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी ने खुलासा किया कि पाकिस्तान सरकार अपने राजनीतिक मकसदों के लिए नकली आतंकी हमलों का इस्तेमाल करती है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस्लामाबाद जानबूझकर खैबर क्षेत्र में शांति बहाल होने नहीं देता.
जांच एजेंसियों के अनुसार, लाल किले विस्फोट से जुड़े फरीदाबाद में पकड़े गए मॉड्यूल ने 6 दिसंबर, बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर, ऑपरेशन डी-6 नाम से एक बड़े आत्मघाती हमले की योजना बनाई थी. यह हमला कार बम के जरिए किया जाना था और इसकी तैयारी कई हफ्तों से चल रही थी.
इस मॉड्यूल में करीब 9–10 सदस्य शामिल थे, जिनमें 5–6 डॉक्टर भी थे. ये सभी फरीदाबाद के अल-फला विश्वविद्यालय से जुड़े हुए थे और विस्फोटक रसायन जुटाने में अपनी मेडिकल विशेषज्ञता का इस्तेमाल कर रहे थे.
डॉ. शाहीन शहीद और डॉ. उमर इस पूरी साजिश के मुख्य संचालक बताए गए हैं. शुरुआती जांच में सामने आया कि डॉ. शाहीन को जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग ‘जमात-उल-मोमिनीन’ को भारत में स्थापित करने और संचालित करने की जिम्मेदारी दी गई थी. डॉ. शाहीन की गिरफ्तारी उसी विश्वविद्यालय के डॉ. मुजम्मिल गनई की गिरफ्तारी के बाद हुई, जिसने इस पूरे मॉड्यूल की परतें खोल दीं.