पाकिस्तान सरकार ने गुरुवार को बड़ा कदम उठाते हुए पंजाब प्रांत से सक्रिय कट्टरपंथी राजनीतिक पार्टी तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान (TLP) पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया.
सरकार ने इस फैसले को राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिहाज से आवश्यक बताया है. बताया जा रहा है कि हाल के हफ्तों में TLP से जुड़े कार्यकर्ताओं ने कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन किए थे, जिसमें पुलिसकर्मी समेत दर्जनों लोग घायल हुए.
सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्रालय ने TLP पर आतंकवाद विरोधी अधिनियम (Anti-Terrorism Act) की धारा 11B के तहत प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी. अब पार्टी का नाम प्रतिबंधित संगठनों की सूची में जोड़ा जाएगा और इसके दफ्तरों, बैंक खातों और सोशल मीडिया गतिविधियों पर कार्रवाई की जाएगी.
सरकार का बयान
पाकिस्तान के सूचना मंत्री ने कहा कि “किसी भी संगठन को देश की सड़कों पर अराजकता फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने या धार्मिक भावनाओं का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. सरकार ने जनता और राज्य की सुरक्षा के हित में यह निर्णय लिया है.”
क्या है तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान (TLP):
TLP एक कट्टरपंथी इस्लामी राजनीतिक संगठन है जिसकी स्थापना 2015 में खादिम हुसैन रिजवी ने की थी. यह पार्टी ‘नमूसे-रिसालत’ (Prophet की प्रतिष्ठा की रक्षा) के नाम पर बार-बार सड़कों पर उतरकर हिंसक विरोध करती रही है. पाकिस्तान में यह पार्टी पहले भी कई बार बैन की जा चुकी है, लेकिन बाद में प्रतिबंध हटाया गया था.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सरकार का यह कदम आंतरिक स्थिरता और धार्मिक उग्रवाद पर नियंत्रण के लिए अहम साबित हो सकता है, हालांकि पार्टी के समर्थकों से विरोध प्रदर्शन की आशंका बनी हुई है.
संभावित असर:
TLP के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर गिरफ्तारी अभियान शुरू हो सकता है.
सोशल मीडिया पर पार्टी की गतिविधियों पर निगरानी बढ़ेगी.
पाकिस्तान में धार्मिक राजनीति को लेकर एक नई बहस छिड़ सकती है.
यह फैसला पाकिस्तान की सियासत में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है, खासकर उस वक्त जब देश पहले से ही आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है.