जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय के पाकिस्तान दौरे के दौरान सेना प्रमुख आसिम मुनीर फिर से उग्र बयानबाजी पर उतर आए. उन्होंने भारत के साथ मई में हुए कथित चार दिवसीय संघर्ष ( जिसे भारत ने ऑपरेशन नाम दिया) का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने उस समय “मजबूती से जवाब” दिया था और अगर भविष्य में किसी ने युद्ध थोपने की कोशिश की, तो उसे “कड़ा सबक” मिलेगा.
इस दौरान मुनीर ने धार्मिक भावनाओं से भरे वाक्यों का इस्तेमाल करते हुए खुद को “अल्लाह की मदद” से समर्थ बताया और जॉर्डन के साथ रक्षा सहयोग पर ज़ोर दिया.
दैनिक जंग की रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामाबाद में जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय के सम्मान में आयोजित लंच के दौरान मुनीर ने कहा कि मई में भारत के कथित हमले का पाकिस्तान ने डटकर सामना किया. उन्होंने कहा कि उस संघर्ष में “अल्लाह ने पाकिस्तान का सिर ऊंचा रखा.” यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान आंतरिक आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है.
मुनीर ने अपने भाषण में धार्मिक उदाहरणों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि “जब मुसलमान अल्लाह पर भरोसा करता है, तो दुश्मन पर फेंकी गई मिट्टी भी मिसाइल बन जाती है.” उनके इस बयान को पाकिस्तान में सेना द्वारा मनोबल बढ़ाने और बाहरी दुश्मनों का हवाला देकर राष्ट्रीय नैरेटिव बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
मुनीर ने जॉर्डन के साथ सैन्य साझेदारी को मज़बूत करने की प्रतिबद्धता जताई. उन्होंने किंग अब्दुल्ला द्वितीय को भरोसा दिया कि पाकिस्तान क्षेत्र में शांतिपूर्ण दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने और साझा रक्षा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हर संभव कदम उठाएगा. पाक सेना प्रमुख ने दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों का उल्लेख करते हुए सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता दोहराई.
बता किंग अब्दुल्ला द्वितीय अपनी टीम के साथ पाकिस्तान के दो दिवसीय दौरे पर हैं. इस यात्रा का मुख्य लक्ष्य रक्षा क्षमता, सैन्य प्रशिक्षण और क्षेत्रीय स्थिरता पर सहयोग को बढ़ाना बताया जा रहा है. पाकिस्तान हाल के महीनों में अरब देशों के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को तेजी से मजबूत करता दिख रहा है.
पाकिस्तान ने हाल ही में सऊदी अरब के साथ एक बड़ा रक्षा समझौता किया है, जिसे इस्लामाबाद की रणनीतिक नीति में बदलाव और खाड़ी देशों के साथ बढ़ती निकटता के रूप में देखा जा रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक, जॉर्डन की यह यात्रा भी उसी कड़ी का हिस्सा है, जिसमें पाकिस्तान खुद को मुस्लिम दुनिया में एक प्रमुख सैन्य सहयोगी के रूप में स्थापित करना चाहता है.