Donald Trump: पाकिस्तान सरकार ने शनिवार को एक चौंकाने वाला ऐलान किया है. पाकिस्तान ने साल 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को नामित करने की घोषणा की है. इस फैसले ने देश के लेखकों, कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों के बीच तीखी बहस छेड़ दी है. सोशल मीडिया पर इस कदम की कड़ी आलोचना हो रही है, जहां इसे "दयनीय" और "नैतिक रूप से खोखला" बताया जा रहा है.
पाकिस्तान सरकार ने अपने बयान में कहा, "राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस्लामाबाद और नई दिल्ली दोनों के साथ मज़बूत कूटनीतिक जुड़ाव के ज़रिए शानदार रणनीतिक दूरदर्शिता और शानदार राजनेतागिरी का प्रदर्शन किया, जिससे तेज़ी से बिगड़ती स्थिति में सुधार हुआ है. यह हस्तक्षेप एक वास्तविक शांतिदूत के रूप में उनकी भूमिका का प्रमाण है."
आलोचकों का तीखा पलटवार
इस घोषणा के तुरंत बाद, पाकिस्तानी पत्रकार और लेखक जाहिद हुसैन ने सरकार के इस कदम को आड़े हाथों लिया. उन्होंने एक्स पर लिखा, "ट्रम्प ने ईरान पर इजरायल के हमले को 'उत्कृष्ट' कहा है और पाकिस्तानी सरकार ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए उनकी सिफारिश की है... पाकिस्तान सरकार की ओर से यह बहुत दयनीय है. एक व्यक्ति जिसने गाजा में नरसंहार युद्ध का समर्थन किया है और ईरान पर आक्रमण करने की योजना बना रहा है.''
मलीहा लोधी ने जताई नाराजगी
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की पूर्व राजदूत मलीहा लोधी ने भी इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है. उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रम्प के नाम की सिफारिश कर रही है. एक व्यक्ति जिसने गाजा में इजरायल के नरसंहार युद्ध का समर्थन किया है... यह कदम पाकिस्तान के लोगों के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करता है." लोधी ने इसे "चापलूसी" की नीति करार देते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं.
सीनेटर ने बताया नैतिक रूप से खोखला
सीनेटर अल्लामा राजा नासिर ने इस कदम को "गंभीर रूप से गुमराह करने वाला और नैतिक रूप से खोखला निर्णय" बताया. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह शांति के बजाय अपने भू-राजनीतिक हितों को बढ़ावा देने के लिए इस नामांकन का उपयोग कर रही है.
ट्रम्प का विवादित बयान
ट्रम्प ने पिछले साल एक भाषण में दावा किया था, “अगर मेरा नाम ओबामा होता तो मुझे 10 सेकंड में नोबेल पुरस्कार मिल जाता.” शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, "उन्हें मुझे रवांडा के लिए नोबेल पुरस्कार देना चाहिए, और अगर आप देखें, तो कांगो, या आप सर्बिया, कोसोवो कह सकते हैं, आप उनमें से बहुत से नाम ले सकते हैं. बड़े देश भारत और पाकिस्तान हैं. मुझे यह पुरस्कार चार या पांच बार मिलना चाहिए था."