पुतिन से मुलाकात के बाद नार्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग की 'DNA क्लीनिंग', वीडियो में देखें कैसे सारे निशान किए गए नष्ट?

बीजिंग में आयोजित सैन्य परेड और बैठक के बाद एक अजीबोगरीब दृश्य सामने आया, जब किम जोंग उन के सहयोगी उनके पीछे-पीछे हर उस चीज को साफ करने लगे जिसे उन्होंने छुआ था. यह डीएनए मिटाने जैसी कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गई. रूस और उत्तर कोरिया की बढ़ती नजदीकियों और पुतिन-किम मुलाकात के बीच यह घटना दोनों देशों की सुरक्षा सोच और संदेहों को उजागर करती है.

web
Kuldeep Sharma

उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन इस हफ्ते बीजिंग पहुंचे, जहां उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. बैठक के बाद जो दृश्य कैमरे में कैद हुआ, उसने सबको हैरान कर दिया. किम जोंग उन के सहयोगियों ने बैठक कक्ष में उनकी मौजूदगी के हर निशान को मिटा दिया, कुर्सी से लेकर गिलास तक. यह नजारा किसी अपराध-थ्रिलर फिल्म जैसा लग रहा था, जिसने सवाल खड़े कर दिए कि आखिर इतनी सतर्कता क्यों बरती गई.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जैसे ही बैठक खत्म हुई, किम जोंग उन के दो सहयोगी तेजी से कमरे में सक्रिय हो गए. एक स्टाफ ने उनकी कुर्सी की पीठ और हैंडल को चमकाया, जबकि दूसरे ने उनके इस्तेमाल किए गिलास को सावधानीपूर्वक ट्रे पर रख लिया. टेबल, कुर्सी और हर सतह को पोंछा गया, ताकि वहां किम के डीएनए या उपस्थिति का कोई निशान न बचे. रूसी पत्रकार एलेक्ज़ेंडर युनाशेव ने बताया कि यह प्रक्रिया इतनी बारीकी से की गई मानो किसी फोरेंसिक टीम ने सबूत मिटा दिए हों.

सुरक्षा या निगरानी से बचाव?

इस असामान्य सफाई की असली वजह साफ नहीं है. कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम रूस की खुफिया एजेंसियों से बचने के लिए उठाया गया, जबकि कुछ का मानना है कि चीन की निगरानी क्षमताओं को लेकर उत्तर कोरिया चिंतित है. हालांकि यह सिर्फ किम तक सीमित नहीं है. कई बड़े नेता अपनी जैविक जानकारी को लेकर बेहद सतर्क रहते हैं.

रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी अपने डीएनए की सुरक्षा को लेकर कड़े कदम उठाते हैं. कहा जाता है कि उनकी विदेश यात्राओं के दौरान उनके बॉडीगार्ड उनके मूत्र और मल तक को इकट्ठा कर विशेष बैग में मास्को ले जाते हैं, ताकि उनकी सेहत की कोई गुप्त जानकारी बाहर न जा सके.

पुतिन और किम की नजदीकियां

इस बैठक का समापन सकारात्मक माहौल में हुआ. दोनों नेताओं ने चाय पर अनौपचारिक बातचीत भी की. किम जोंग उन ने पुतिन से कहा कि रूस और उसके लोगों के लिए जो भी करना पड़े, वह इसे भाईचारे की जिम्मेदारी मानते हैं. इसके जवाब में पुतिन ने उन्हें 'प्रिय चेयरमैन ऑफ स्टेट अफेयर्स' कहकर संबोधित किया.

रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया कि उत्तर कोरिया ने रूस को यूक्रेन युद्ध में सैनिक भेजे हैं. हालांकि, खबर है कि भेजे गए करीब 13,000 सैनिकों में से लगभग 2,000 पहले ही मारे जा चुके हैं. इसके बावजूद पुतिन ने उत्तर कोरिया के समर्थन के लिए आभार जताया.

पुतिन की सुरक्षा रणनीति और वैश्विक तुलना

डीएनए सुरक्षा के ऐसे उपाय केवल किम और पुतिन तक ही सीमित नहीं हैं. विशेषज्ञ बताते हैं कि यह एक नई तरह की कूटनीतिक सावधानी बनती जा रही है. पुतिन ने साल 2017 से ही यह प्रथा शुरू की थी, ताकि किसी भी विदेशी ताकत को उनके स्वास्थ्य से जुड़ी गुप्त जानकारी हासिल न हो सके. यहां तक कि डोनाल्ड ट्रंप के साथ अलास्का में हुई बैठक के दौरान भी पुतिन का स्टाफ उनके उत्सर्जन को वापस रूस ले गया था.

इससे यह साफ होता है कि नेताओं की जैविक जानकारी केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य का मामला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का हिस्सा बन चुकी है.

बीजिंग यात्रा क्यों है महत्वपूर्ण?

यह दौरा किम जोंग उन की महामारी के बाद पहली चीन यात्रा थी. यहां उन्होंने न केवल पुतिन और शी जिनपिंग से मुलाकात की, बल्कि 20 से अधिक देशों के नेताओं के साथ भी बातचीत का मौका मिला. जापान के आत्मसमर्पण की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित सैन्य परेड में उनकी मौजूदगी उत्तर कोरिया की अंतरराष्ट्रीय सक्रियता को भी दर्शाती है.

रूस और उत्तर कोरिया के बीच 2024 में हुए रक्षा समझौते ने दोनों देशों को और नजदीक ला दिया है. एक ओर रूस यूक्रेन युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध झेल रहा है, तो दूसरी ओर उत्तर कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रम की वजह से अलग-थलग है. ऐसे में दोनों देशों की साझेदारी पहले से कहीं मजबूत दिखाई दे रही है.