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ऑपरेशन सिंदूर का दिया जख्म नहीं भूल पा रहा पाकिस्तान, बदला लेने के लिए मसूद अजहर को निकाला बिल से बाहर

मसूद अजहर फिर से पाकिस्तान में सक्रिय हो गया है. उसे पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का समर्थन हासिल है. उसके नए संदेशों से संकेत मिलते हैं कि जैश-ए-मोहम्मद फिर से जिहादी गतिविधियां तेज करने की तैयारी में है. भारत के लिए यह सुरक्षा चिंता का बड़ा विषय बन सकता है.

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Edited By: Km Jaya
Masood Azhar India daily
Courtesy: @PTI_News X account

नई दिल्ली: पाकिस्तान में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर एक बार फिर सुर्खियों में है. लंबे समय तक गायब रहने के बाद वह हाल के हफ्तों में सार्वजनिक तौर पर सामने आया है. जिनमें उसने जैश को फिर से मजबूत करने, नई भर्तियां शुरू करने और जिहाद को बढ़ाने की बात कही है. यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई उस पर दोबारा भरोसा जताती दिख रही हैं.

सूत्रों के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद के पुनरुत्थान के पीछे पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और आईएसआई की रणनीति है. दरअसल, हाल ही में भारत द्वारा बहावलपुर में किए गए ऑपरेशन सिंदूर के हमले में जैश के कई ठिकाने तबाह हो गए थे और मसूद अजहर के परिवार के कुछ सदस्य मारे गए थे. इस झटके के बाद पाकिस्तान को डर था कि जैश की ताकत और उसका खौफ खत्म न हो जाए, इसलिए मसूद अजहर को फिर से सार्वजनिक तौर पर लाया गया.

क्यों की महिला विंग की घोषणा?

मसूद अजहर ने हाल में अपने संगठन के लिए महिला विंग की घोषणा भी की है, जिसकी कमान उसकी बहन सादिया अजहर को दी गई है. इसका उद्देश्य भारत की महिलाओं को निशाना बनाकर आतंकी विचारधारा फैलाना बताया जा रहा है. खुफिया एजेंसियों का मानना है कि मसूद के ये संदेश सिर्फ जैश के सदस्यों के लिए नहीं हैं बल्कि भारत और पश्चिमी देशों के लिए भी एक संकेत हैं कि पाकिस्तान का युद्ध अब भी खत्म नहीं हुआ है.

क्या है पाक की नई कूटनीतिक चाल?

सुरक्षा विशेषज्ञों के ने बताया कि मसूद अजहर का दोबारा सक्रिय होना पाकिस्तान की नई कूटनीतिक चाल है. अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में सुधार के बीच इस्लामाबाद को लगता है कि अब वह बिना किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय दबाव के कश्मीर में फिर से उग्रवाद को हवा दे सकता है. यही कारण है कि जैश के पुराने नेटवर्क को पुनर्जीवित करने की कोशिशें बढ़ गई हैं. भारत के लिए यह स्थिति चिंताजनक मानी जा रही है. जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही हाई अलर्ट पर हैं. अगर मसूद अजहर को पाकिस्तान का समर्थन मिलना जारी रहा, तो सीमापार से आतंकी गतिविधियों में दोबारा वृद्धि हो सकती है.