इजरायली सेना ने सोमवार तड़के एक सहायता नाव को रोक लिया, जिसमें स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और फ्रांस की यूरोपीय संसद सदस्य रीमा हसन सहित कई अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ता सवार थे. यह नाव गाजा की नौसैनिक नाकेबंदी को तोड़ने की कोशिश में थी.
यह नाव, जिसका नाम 'मैडलीन' है और जो ब्रिटिश ध्वज के तहत पंजीकृत है, फ्रीडम फ्लोटिला गठबंधन (एफएफसी) द्वारा आयोजित एक मिशन का हिस्सा थी. इस गठबंधन का उद्देश्य गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाना है. नाव 6 जून को सिसिली से रवाना हुई थी और आज गाजा पहुंचने वाली थी. लेकिन इजरायली सेना ने इसे अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में रोक लिया.
कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी
रीमा हसन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी कि नाव पर सवार सभी कार्यकर्ताओं को इजरायली सेना ने सुबह करीब 2 बजे गिरफ्तार कर लिया. उन्होंने दावा किया कि यह कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में की गई, जो अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन हो सकता है.
मिशन का उद्देश्य
फ्रीडम फ्लोटिला गठबंधन का कहना है कि उनका मिशन गाजा में जरूरतमंद लोगों तक मानवीय सहायता पहुंचाना था. गाजा में लंबे समय से नाकेबंदी के कारण वहां के लोगों को भोजन, दवाइयां और अन्य जरूरी सामान की कमी का सामना करना पड़ रहा है. इस नाव के जरिए कार्यकर्ता इस संकट को उजागर करना चाहते थे.
इजरायली सेना की कार्रवाई
इजरायली सेना ने नाव को अपने कब्जे में लेकर उसका मार्ग बदल दिया. सेना का कहना है कि गाजा की नाकेबंदी सुरक्षा कारणों से जरूरी है. इस घटना ने एक बार फिर गाजा में मानवीय संकट और नाकेबंदी के मुद्दे को वैश्विक चर्चा में ला दिया है.
यह घटना अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन रही है, क्योंकि यह मानवीय सहायता और क्षेत्रीय सुरक्षा के बीच टकराव को दर्शाती है.