Iran-Israel conflict: ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक बड़ा सवाल वैश्विक स्तर पर चर्चा में है अगर अयातुल्ला अली खामेनेई सत्ता से बाहर हो गए, तो उनके बाद देश की बागडोर किसके हाथ में होगी? 85 वर्षीय खामेनेई अब न केवल उम्रदराज हो चुके हैं, बल्कि हाल के दिनों में उन्हें कई राजनीतिक और सैन्य संकटों का भी सामना करना पड़ा है. इजरायल के नेताओं ने खुलेआम उन्हें निशाना बनाने की बात कही है, जिससे उनकी सुरक्षा और नेतृत्व को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. हाल ही में मीडिया के साथ बात करते हुए, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा था कि खामेनेई की हत्या से इजरायल और ईरान के बीच लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी पर रोक लग जाएगी. इतना ही नहीं एक दिन बाद ही इजरायल के रक्षा मंत्री, इज़रायल काट्ज़ ने और भी सीधी चेतावनी दी.
इज़रायल काट्ज़ ने धमकी देते हुए कहा कि खामेनेई का हश्र भी पूर्व इराकी नेता सद्दाम हुसैन जैसा ही हो सकता है. इस स्थिति में ईरान के अगले सर्वोच्च नेता को लेकर विशेषज्ञों और खुफिया एजेंसियों में लगातार मंथन चल रहा है. कई नामों की चर्चा हो रही है, लेकिन अंतिम फैसला ‘एसेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स’ द्वारा बेहद गोपनीय प्रक्रिया में लिया जाएगा. इस लेख में जानते हैं कौन हैं वो संभावित चेहरे जो इस अहम पद की रेस में सबसे आगे हैं.
1. मोजतबा खामेनेई
खुद खामेनेई के बेटे मोजतबा खामेनेई सबसे प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं. आईआरजीसी और धार्मिक सत्ता प्रतिष्ठान से गहरे संबंध रखने वाले मोजतबा पर्दे के पीछे लंबे समय से सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं.
2. अलीरेजा अराफी
खामेनेई के भरोसेमंद सहयोगी अराफी के पास कई संवैधानिक जिम्मेदारियां हैं. वे असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स के उपाध्यक्ष और गार्जियन काउंसिल के सदस्य हैं. धार्मिक और राजनीतिक अनुभव उन्हें मजबूत उम्मीदवार बनाता है.
3. अली असगर हेजाजी
राजनीतिक-सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ हेजाजी लंबे समय से खुफिया और रणनीतिक भूमिकाओं में सक्रिय हैं. पर्दे के पीछे से फैसले लेने में उनकी भूमिका अहम मानी जाती है.
4. मोहसेनी एजेई
जस्टिस सिस्टम में दशकों से सक्रिय ग़ुलाम हुसैन एजेई ने खुफिया मंत्री, अटॉर्नी जनरल और न्यायपालिका प्रवक्ता जैसे पदों पर कार्य किया है.
5. अन्य प्रमुख नाम
इनके अलावा मोहम्मद गोलपायेगानी, अली अकबर वेलायाती, कमाल खराजी और अली लारीजानी जैसे अनुभवी चेहरे भी रेस में हैं, जो घरेलू और विदेश नीति दोनों में माहिर हैं.
ईरान के सुप्रीम लीडर की नियुक्ति एसेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स करती है, जिसमें 88 मौलवी होते हैं. ये जनता द्वारा चुने जाते हैं लेकिन गार्जियन काउंसिल द्वारा जांचे जाते हैं. यह चुनाव पूरी तरह गुप्त और बंद दरवाजों के पीछे होता है, जिसमें धार्मिक साख, निष्ठा और स्थिरता बनाए रखने की क्षमता को ध्यान में रखा जाता है.
अगर खामेनेई को सत्ता से हटना पड़ा या उनका निधन होता है, तो ईरान के राजनीतिक और धार्मिक ढांचे में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. जो भी अगला सर्वोच्च नेता बनेगा, वह न केवल ईरान की आंतरिक स्थिरता बल्कि पश्चिम एशिया की रणनीतिक दिशा को भी प्रभावित करेगा.