Bangladesh General Elections Geopolitics: भारत (India) और अमेरिका रणनीतिक साझीदार की भूमिका में नजर आ रहे हैं. चीन (China) की दादागिरी के खिलाफ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ये दोनों देश एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं. भारत और अमेरिका (America) की इस साझेदारी को बीच एशिया में कुछ मसलों लेकर असहमति भी है. दोनों देशों के बीच असहमति की वजह है बांग्लादेश. भारत बांग्लादेश में होने वाले आगामी चुनाव को लेकर अमेरिका की भूमिका से सहमत नहीं है. भारत ने ये भी साफ कर दिया है कि अमेरिका ने बांग्लादेश (Bangladesh) में शेख हसीना (Sheikh Hasina) सरकार को अस्थिर करने के लिए जो कदम उठाएं हैं, वो भारत की सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं हैं.
बांग्लादेश में निष्पक्ष चुनाव चाहता है भारत
बांग्लादेश को लेकर भारत का मानना है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के मुद्दे पर अमेरिका का दबाव बांग्लादेश को चीन के करीब धकेल सकता है और इसका क्षेत्र पर असर पड़ेगा. भारत ने ये भी स्पष्ट किया कि वो बांग्लादेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव चाहता है. भारत अमेरिका को पहले ही बता चुका है कि अगर बांग्लादेश पर अधिक दबाव बनाया गया तो वहां कट्टरपंथी ताकतें मजबूत होंगी.
जमात-ए-इस्लामी भारत और अमेरिका के हित में नहीं
इस बीच भारत के रणनीतिकारों का मानना है कि अगर अमेरिका की शह पर कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी को 'राजनीतिक छूट' दी जाती है तो बांग्लादेश पर भविष्य में कट्टरपंथियों का राज हो जाएगा. उदारवादी माहौल खत्म हो जाएगा. भारत का मानना है कि अगर बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार कमजोर होती है तो यो ना तो भारत के पक्ष में होगा और ना ही अमेरिका को इसका कोई लोभ मिलेगा. भारत मानता है कि बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार ने अभी तक इन ताकतों को नियंत्रित रखा है.
अमेरिका ने उठाए कदम
गौरतलब है कि दिसंबर 2021 में अमेरिका ने बांग्लादेश के अर्धसैनिक बल रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) और इसके कई वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए थे. मई 2023 में अमेरिका ने बांग्लादेश की चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास करने वाले लोगों पर वीजा प्रतिबंध लगाने की चेतावनी भी दी थी. अमेरिका ने कहा था कि राजनीतिक दलों, नागरिक समूहों या मीडिया की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रभावित करने पर ये कदम उठाये जा सकते हैं.
शेख हसीना और शी जिनपिंग की मुलाकात
हाल ही में जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाकात हुई थी. दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया था कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि चीन बाहरी ताकतों के दखल के विरोध में बांग्लादेश का समर्थन करता है. चीन और बांग्लादेश अपने-अपने हितों की रक्षा के लिए एक दूसरे का सहयोग करेंगे. इसी बयान में प्रधानमंत्री शेख हसीना का वक्तव्य भी प्रकाशित हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'बांग्लादेश-चीन संबंध' आपसी सम्मान और एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ना करने पर आधारित हैं.'
जमात-ए-इस्लामी को अमेरिका का संरक्षण
बता दें कि भारत और बांग्लादेश और भारत की सीमाएं एक दूसरे से लगी हुई हैं. अगर बांग्लादेश में अस्थिरता होती है तो इसका असर भारत की सुरक्षा पर पड़ना तय है. भारत ने अमेरिका से कहा है कि अगर जमात-ए-इस्लामी को संरक्षण दिया गया ताकि उसका विकास हो तो भारत में सीमापार आतंकवाद बढ़ सकता है. यही नहीं बांग्लादेश में चीन का प्रभाव काफी बढ़ जाएगा जो खुद अमेरिका नहीं होते देखना चाहेगा. वहीं अमेरिका जमात-ए-इस्लामी को इस्लामिक राजनीतिक संगठन के रूप में प्रदर्शित करने की कोशिश करता है और उसकी तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से करता है. भारत का मानना है कि जमात-ए-इस्लामी के पीछे कट्टरपंथी ताकतों और पाकिस्तान का हाथ है.
दिल्ली में हुई बैठक
गौरतलब है कि बीजेपी के निमंत्रण पर इस महीने की शुरुआत में शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने बीजेपी और संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों सहित कई वार्ताकारों के साथ दिल्ली में बैठक की थी. इस दौरान क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने में बांग्लादेश के आगामी आम चुनाव के महत्व को उठाया गया था.
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