India Russia Oil Import 2025: भारत सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत ने रूसी कच्चे तेल की खरीद रोक दी है. सरकारी सूत्रों द्वारा स्पष्ट किया गया कि देश की ऊर्जा संबंधी नीतियां पूरी तरह बाजार की परिस्थितियों और राष्ट्रीय हितों पर आधारित हैं, न कि बाहरी दबावों पर
शुक्रवार को रिपोर्ट सामने आई थी कि भारत की सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन यानी IOC, हिंदुस्तान पेट्रोलियम यानी HPCL, भारत पेट्रोलियम यानी BPCL, और मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड यानी MRPL ने बीते सप्ताह रूसी कच्चा तेल नहीं खरीदा है. इसका कारण अमेरिकी टैरिफ की आशंका और कीमतों में कमी बताई गई. इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस कथित रोक को 'सही दिशा में कदम' बताया.
हालांकि, भारतीय सरकारी सूत्रों ने ट्रंप के इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि हमारे पास ऐसा कोई संकेत नहीं है कि भारतीय तेल कंपनियों ने रूसी तेल खरीदना बंद कर दिया है. भारत की ऊर्जा खरीद पूरी तरह आर्थिक व्यावहारिकता और देशहित से जुड़ी है.
भारत वर्तमान में समुद्र मार्ग से आने वाले रूसी तेल का सबसे बड़ा आयातक है. रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादक है, जो करीब 9.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन तेल उत्पादन करता है और करीब 4.5 मिलियन बैरल तेल निर्यात करता है.
2022 में जब रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक आपूर्ति बाधित हुई थी, तब ब्रेंट क्रूड की कीमतें 137 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं. उस वक्त भारत ने सस्ते विकल्पों की तलाश में रूसी तेल खरीद को प्राथमिकता दी थी.
सरकारी सूत्रों ने कहा कि भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है और कच्चे तेल की 85% जरूरत आयात से पूरी करता है. ऐसे में देश ने अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हुए ऊर्जा सुरक्षा के लिए रणनीतिक निर्णय लिए हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणदीप जैसवाल ने भारत-रूस संबंधों को स्थायी और विश्वासपूर्ण साझेदारी बताया. उन्होंने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते मजबूत हैं और दोनों देशों के संबंधों में निरंतर प्रगति होगी.