नई दिल्ली: ईरान के चाबहार बंदरगाह पर अमेरिकी प्रतिबंधों से भारत को मिली छह महीने की छूट ने दक्षिण एशियाई भू-राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है. भारत के लिए यह रणनीतिक राहत अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक व्यापारिक पहुंच आसान करेगी.
वही पाकिस्तान ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. इस्लामाबाद ने आशंका जताई है कि भारत इस छूट का उपयोग बलूचिस्तान प्रांत में हिंसा फैलाने के लिए कर सकता है.
अमेरिका की ओर से भारत को मिली इस राहत के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि इस्लामाबाद इस घटनाक्रम पर करीबी नजर रखे हुए है. मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हम ऐसे किसी भी कदम का स्वागत करते हैं जो ईरान के आर्थिक विकास में सहायक हो. हालांकि, उम्मीद करते हैं कि भारत इस छूट का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ किसी गतिविधि के लिए नहीं करेगा.
प्रवक्ता ने बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि भारत ने अतीत में भी सीमा पार आतंकवाद और तोड़फोड़ की गतिविधियों को बढ़ावा दिया है. उन्होंने चेतावनी दी कि चाबहार पोर्ट को इस उद्देश्य के लिए न किया जाए. पाकिस्तान का दावा है कि भारत, अफगानिस्तान के रास्ते बलूचिस्तान में हिंसा को बढ़ावा देता है, हालांकि भारत इन आरोपों को निराधार बताकर खारिज करता आया है.
चाबहार बंदरगाह पाकिस्तान को बायपास कर भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच एक वैकल्पिक व्यापारिक कॉरिडोर प्रदान करता है. यह पोर्ट रणनीतिक रूप से ग्वादर पोर्ट (जिसे चीन पाकिस्तान में विकसित कर रहा है) के बेहद करीब है. भारत ने पिछले साल ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह के विकास और संचालन के लिए 10 साल का समझौता किया था.
कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की यह छूट भारत को न केवल मध्य एशिया और अफगानिस्तान में आर्थिक अवसर बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि क्षेत्रीय शक्ति-संतुलन में भी उसकी स्थिति मजबूत करेगी. वहीं पाकिस्तान की चिंता इस बात को लेकर है कि अफगान सीमा पर भारत का बढ़ता प्रभाव उसके लिए सुरक्षा चुनौती साबित हो सकता है.
उधर, भारत ने हाल के महीनों में अफगानिस्तान के साथ संबंधों को पुनर्जीवित किया है. तालिबान शासन के दौरान बंद हुआ भारतीय दूतावास अब फिर से काम करने की दिशा में सक्रिय है. चाबहार पोर्ट के माध्यम से भारत की इस नई रणनीति को क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और स्थिरता की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है.