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India Daily

अमेरिका को करारा जवाब देने की तैयारी में भारत और चीन, खत्म हो जाएगी डॉलर की बादशाहत!

India-China: अमेरिका ने भारत पर हाल ही में 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जिसका असर भारत पर देखने को मिल रहा है. ऐसे में भारत और चीन मिलकर अमेरिका को चुनौती देने की तैयारी में हैं.

Narendra Modi Xi Jinping
Courtesy: Social Media

India-China: वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. अमेरिका की नई टैरिफ नीतियों और आर्थिक दबाव के जवाब में भारत और चीन जैसे देश अब एकजुट होकर नई रणनीति बना रहे हैं. हाल ही में हुए SCO (शंघाई सहयोग संगठन) शिखर सम्मेलन में भारत, चीन और रूस ने मिलकर एक ऐसी योजना बनाई है, जो अमेरिका की आर्थिक ताकत को चुनौती दे सकती है. 

एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक साथ मंच साझा किया. इस दौरान तीनों देशों ने आपसी विवादों को भुलाकर एक नई शुरुआत करने का फैसला किया. खास तौर पर इन देशों ने अमेरिका की आर्थिक नीतियों का जवाब देने के लिए एकजुट होने का संकल्प लिया. 

डॉलर की ताकत को चुनौती

अमेरिका लंबे समय से अपनी वित्तीय प्रणाली, जैसे स्विफ्ट (SWIFT) भुगतान तंत्र, के जरिए दुनिया पर दबाव बनाता रहा है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मत्तेओ माज्जियोरी के अनुसार अमेरिका अपनी वित्तीय ताकत का इस्तेमाल अन्य देशों पर दबाव बनाने के लिए करता है. लेकिन अब भारत और चीन जैसे देश इस व्यवस्था को बदलने की दिशा में काम कर रहे हैं. माज्जियोरी का कहना है कि अगर कोई वैकल्पिक भुगतान तंत्र बन जाता है, जो वैश्विक लेन-देन का केवल 10% हिस्सा भी संभाल ले, तो यह छोटे देशों के लिए बड़ा विकल्प बन सकता है. 

भारत की बढ़ती ताकत

भारत इस बदलाव में अहम भूमिका निभा रहा है. हाल के वर्षों में भारत ने रूस से तेल आयात बढ़ाया है और डिजिटल भुगतान यूपीआई (UPI) को न केवल देश में बल्कि पड़ोसी देशों में भी लोकप्रिय बनाया है. माज्जियोरी के मुताबिक यूपीआई जैसे तंत्र उन देशों के लिए आकर्षक विकल्प बन सकते हैं, जिन्हें पश्चिमी वित्तीय तंत्र से बाहर रखा गया है. हालांकि, भारत को अभी और मजबूत होने की जरूरत है. 

अमेरिका की नीतियों का असर

अमेरिका की टैरिफ नीतियों और आर्थिक प्रतिबंधों ने दुनिया को एकजुट होने के लिए मजबूर किया है. माज्जियोरी का कहना है कि अमेरिका ने अब तक अलग-अलग देशों से सौदे करके अपनी ताकत बनाए रखी क्योंकि बाकी देश एकजुट होकर जवाब नहीं दे पाए. लेकिन अब भारत, चीन और रूस जैसे देशों का गठजोड़ इस स्थिति को बदल सकता है.