हंगेरियन लेखक लास्जलो क्राज्नाहोरकाई को 2025 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया है. स्वीडिश अकेडमी ने क्राज्नाहोरकाई को उनकी सम्मोहक और दूरदर्शी कृति के लिए सम्मानित किया जो दुनिया में बढ़ती आतंकी घटनाओं और अस्थिरता के बीच कला की ताकत की पुष्टि करती है. पुरस्कार के साथ साथ उन्हें 1.2 मिलियन डॉलर की इनामी राशि भी दी जाएगी.
क्राज्नाहोरकाई की कुछ ही कृतियों का अंग्रेजी में अनुवाद हुआ है. साहित्यिक आलोचक जेम्स वुड ने लिखा कि क्राज्नाहोरकाई की किताबें दुर्लभ मुद्रा की तरह इधर-उधर फैलती हैं.
कौन हैं लास्जलो क्राज्नाहोरकाई
1954 में हंगरी के ग्युला में जन्मे क्राज्नाहोरकाई ऐसी स्थिति और ऐसे देश में पले-बढ़े जहां एक उच्च सौंदर्यबोध और नैतिक संवेदनशीलता वाला व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता.
क्राज्नाहोरकाई का उपन्यास अपने सघन, दार्शनिक गद्द के लिए जाना जाता है और अक्सर अव्यवस्थित, ईश्वरहीन दुनिया में मानवता की पड़ता करता है. उनकी पहली ही कृति Sátántangó (1985; Satantango, 2012), जो एक छोड़े हुए खेत पर आधारित थी, ने पाठकों को अंधकार और बेतुकेपन के उनके दृष्टिकोण से परिचित कराया कराया. दिवंगत सुजैन सोंटेग ने उन्हें 'सर्वनाश का समकालीन गुरु' कहा था.
क्राज्नाहोरकाई ने इसके अलावा और भी कई उपन्यास लिखे जिनमें Az ellenállás melankóliája (1989; The Melancholy of Resistance, 1998), Háború és háború (1999; War & War, 2006), Báró Wenckheim hazatér (2016; Baron Wenckheim’s Homecoming, 2019), Herscht 07769 (2021; Herscht 07769: A Novel, 2024), Északról hegy, Délről tó…, Aprómunka egy palotáért (2018; Spadework for a Palace, 2020) शामिल हैं.
कई उपन्यासों पर बन चुकी हैं फिल्म
क्राज्नाहोरकाई के उपन्यास अक्सर एकाकी परिदृश्यों, नैतिक अस्पष्टता और मानवीय अतिरेक को दर्शाते हैं और विचित्र बेतुकेपन को काव्यात्मक सौंदर्य के साथ मिश्रित करते हैं. उनकी कई कृतियों जिनमें सटेनटैंगो और द मेलानचाली ऑफ रेसिस्टेंस शामिल है पर फिल्में भी बन चुकी हैं.