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कैसे भारत के लिए गेमचेंजर बनेगी बजट की ये घोषणा, आखिर क्या है ये योजना

Middle East Europe economic corridor: भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर (आईएमईसी) एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जो एशिया, फारस की खाड़ी और यूरोप के बीच आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए संयोजकता और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देकर तैयार की गई है.

Vineet Kumar
LIVETV

Middle East Europe economic corridor: एक फरवरी को जब संसद के पटल पर निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट रखा तो आम आदमी को कुछ खास नहीं मिला, हालांकि इसमें कुछ ऐलान हुए जिसने देश को विकसित देशों की लिस्ट में शामिल होने के सपने को साकार करने की पुष्टि जरूर कर दी है. वित्त मंत्री ने अपने भाषण के दौरान आईएमईसी (इंडिया मिडिल ईस्ट इकॉनामिक कोरिडोर) का जिक्र किया और बताया कि ये देश के लिए गेमचेंजर साबित होगा.

क्या है आईएमईसी परियोजना

आइये भारत के परिप्रेक्ष्य में समझते हैं इंडिया मिडिल ईस्ट इकॉनामिक कोरिडोर परियोजना के क्या मायने हैं और ये कैसे भविष्य के लिए गेमचेंजर साबित होने वाला है. 

इंडिया मिडिल ईस्ट इकॉनामिक कोरिडोर की बात करें तो यह  गलियारा भारत को यूरोप से जोड़ने का प्रयास करता है जिसको लेकर रास्ता संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन, इजरायल और ग्रीस जैसे देशों से होकर गुजरेगा. यह परियोजना न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकती है.

भारत को कैसे फायदा देगा ये कॉरिडोर

व्यापार और निवेश में वृद्धि: आईएमईसी भारत को यूरोप और मध्य पूर्व के विशाल बाजारों से जोड़ेगा, जिससे द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा. भारत निर्यात को बढ़ा सकता है और यूरोपीय और मध्य पूर्वी कंपनियों के लिए एक आकर्षक निवेश गंतव्य बन सकता है.

रोजगार को मिलेगा बढ़ावा: बुनियादी ढांचे के विकास और व्यापार विस्तार से भारत में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे. रसद, परिवहन, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में विशेष रूप से अवसर पैदा होंगे.

बुनियादी ढांचे का विकास: आईएमईसी भारत को अपने बुनियादी ढांचे को उन्नत करने का अवसर प्रदान करेगा, जिसमें बंदरगाहों, रेलवे, सड़कों और हवाई अड्डों का विकास शामिल है. यह आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और जीवन स्तर को ऊपर उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

ऊर्जा सुरक्षा: मध्य पूर्व के साथ करीब संबंध भारत को ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने में मदद कर सकते हैं. भारत अपनी तेल और गैस जरूरतों को पूरा करने के लिए मध्य पूर्व पर निर्भर है, और आईएमईसी इन आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने में मदद कर सकता है.

रणनीतिक साझेदारी: आईएमईसी भारत को यूरोपीय संघ और मध्य पूर्व के प्रमुख देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगा. इससे भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत होगी और उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अधिक प्रभावशाली आवाज मिलेगी.

कोरिडोर के सामने क्या होगी चुनौतियां

  • भू-राजनीतिक अस्थिरता: मध्य पूर्व क्षेत्र अस्थिरता से ग्रस्त है, और यह अस्थिरता आईएमईसी परियोजना को बाधित कर सकती है.
  • बुनियादी ढांचे की कमी: परियोजना को सफल बनाने के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास की आवश्यकता है, जिसके लिए बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होगी.
  • राजनीतिक इच्छाशक्ति: सभी भागीदार देशों को इस परियोजना के प्रति प्रतिबद्ध रहने और सहयोग करने की आवश्यकता है.


कैसे भारत के लिए गेमचेंजर साबित होगी ये योजना

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर भारत के लिए एक महत्वाकांक्षी और दूरगामी परियोजना है. यदि इसे सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया जाता है, तो यह भारत के आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे के विकास और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. हालांकि, कई चुनौतियां और अनिश्चितताएं बनी हुई हैं, जिन्हें दूर करने के लिए सभी भागीदार देशों को राजनीतिक इच्छाशक्ति और सहयोग की आवश्यकता होगी.