Benjamin Netanyahu: कुछ दिनों पहले इजरायल और लेबनान में युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे. इस खबर ने दुनिया को थोड़ी राहत दी. लेकिन समझौते के बाद भी इजरायल ने लेबनान के कई इलाकों में बमबारी की. इसी बीच इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू की मौत भी 2200 किलोमीटर दूर से काल बनकर आ रही थी. आईडीएफ की इसकी भनक भी नहीं थी. लेकिन एंड मौके पर इजरायली फोर्स ने इसे नाकाम कर दिया.
यमन के हूती विद्रोहियों ने बेंजामिन नेतन्याहू पर हमला करने की योजना बनाई थी. करीब 2200 किलोमीटर दूर स्थित यमन के हौथी विद्रोहियों ने मध्य इजराइल में एक स्पेसिक टार्गेट पर बैलिस्टिक हाइपरसोनिक मिसाइल से हमला किया.
हूती विद्रोहियों के प्रतिनिधि याह्या सारी ने इस हमले की पुष्टि भी की. उन्होंने कहा कि यह हमला एक हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल का उपयोग करके पूरा किया गया था. हालांकि, हूती समूह की ओर से आगे की जानकारी नहीं दी गई.
अपने दृढ़ संकल्प को रेखांकित करते हुए सारी ने तब तक मिसाइल और ड्रोन हमलों को जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई है जब तक कि इजरायल गाजा में अपनी कार्रवाई बंद नहीं कर देता और नाकाबंदी समाप्त नहीं कर देता.
इस घटना का खुलासा करते हुए इजरायल के टीवी चैनल ने खुलासा किया कि यमन से लॉन्च की गई मिसाइल को वायु रक्षा प्रणाली द्वारा प्रभावी रूप से रोक दिया गया था. इजरायली सेना ने यमन से आने वाली बैलिस्टिक मिसाइल को शुरू में ही नष्ट करने के अपने सफल प्रयास की पुष्टि की.
कैबिनेट मीटिंग में बोलते हुए बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इजरायल, हिजबुल्लाह के साथ युद्ध विराम समझौते के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि इसका मतलब यह नहीं है कि युद्ध खत्म हो गया है.
उत्तरी सीमावर्ती शहर नहरिया में कैबिनेट बैठक की शुरुआत में बोलते हुए नेतन्याहू ने कहा कि हिजबुल्लाह ने सोमवार को समझौते का गंभीर उल्लंघन किया था और इसके बाद इजरायल ने जवाबी कार्रवाई में लेबनान में 20 से अधिक ठिकानों पर हमले किए थे.
उन्होंने आगे कहा, "हम युद्ध विराम के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन हम दूसरे पक्ष द्वारा युद्ध विराम उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेंगे. मैं यहां स्पष्ट शब्दों में यह भी कहता हूं कि हम 6 अक्टूबर वाली स्थिति में वापस नहीं लौटेंगे."