'हिम्मत है तो ICC जाएं', मौत की सजा पर भड़कीं शेख हसीना, फैसले को बताया राजनीतिक साजिश

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल की मौत की सजा को राजनीतिक साजिश और पक्षपातपूर्ण कार्रवाई बताया. निर्वासन से दिए बयान में उन्होंने फैसले को लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर हमला कहा.

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Kuldeep Sharma

नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को 'राजनीतिक रूप से प्रेरित और पूर्वनियोजित' बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है. नई दिल्ली में निर्वासन में रह रहीं हसीना ने कहा कि यह मुकदमा उन्हें स्थायी रूप से राजनीति से हटाने के लिए रचा गया है.

उन्होंने दावा किया कि ट्रिब्यूनल ने उन्हें न तो निष्पक्ष सुनवाई दी और न ही उनका पक्ष ठीक से रखने का अवसर. हसीना ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है.

'फैसला पहले से तय था'

हसीना ने कहा कि उनके खिलाफ चलाया गया मुकदमा एक 'निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया' नहीं था बल्कि ऐसा फैसला था जिसकी रूपरेखा पहले ही तैयार थी. इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि सुनवाई उनकी अनुपस्थिति में हुई और उन्हें अपनी पसंद के वकील नियुक्त करने का अधिकार भी नहीं दिया गया. उनके अनुसार, इस फैसले का वास्तविक उद्देश्य उन्हें बांग्लादेश की राजनीति से स्थायी रूप से बाहर करना है.

अंतरिम सरकार पर किया सीधा हमला

हसीना ने अंतरिम सरकार पर 'बदले की भावना से संचालित मुकदमा' चलाने का आरोप लगाया. उनका कहना है कि जिस ICT को अंतरराष्ट्रीय अदालत बताया जा रहा है, वह न तो निष्पक्ष है और न ही वैश्विक न्यायिक मानकों पर खरी उतरती है. उन्होंने दावा किया कि ट्रिब्यूनल ने केवल अवामी लीग के नेताओं पर कार्रवाई की और विपक्षी दलों द्वारा हुई हिंसा को अनदेखा कर दिया.

ट्रिब्यूनल ने जिन आरोपों पर दोषी ठहराया

ICT ने उन्हें छात्र आंदोलन के दौरान हिंसा भड़काने, प्रदर्शनकारियों की हत्या का आदेश देने और बड़े पैमाने पर अत्याचार रोकने में विफल रहने के आरोपों में दोषी पाया. इसी मामले में पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी मौत की सजा दी गई, जबकि पूर्व पुलिस प्रमुख को राज्य गवाह बनने पर पांच साल की सजा मिली. हसीना ने जवाब में कहा कि अभियोजन पक्ष कोई 'मजबूत और ठोस साक्ष्य' पेश नहीं कर सका.

अंतरिम नेता यूनुस पर गंभीर आरोप

हसीना ने अंतरिम नेता मोहम्मद यूनुस को 'असंवैधानिक ढंग से सत्ता हथियाने' का आरोपी बताते हुए कहा कि उनके शासन में छात्रों, डॉक्टरों, शिक्षकों और गारमेंट कर्मचारियों के शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को कड़े दमन का सामना करना पड़ा. उन्होंने दावा किया कि कई प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई गईं और पत्रकारों को प्रताड़ना व धमकियों का सामना करना पड़ा. उनके अनुसार, अवामी लीग से जुड़े लोगों के घरों व संपत्तियों पर हमले भी किए गए.

मृतकों के आंकड़ों पर सवाल

हसीना ने 1,400 मृतकों के आंकड़े को खारिज करते हुए कहा कि सरकार के आधिकारिक रिकॉर्ड में 614 परिवारों को ही सहायता दी गई है. उन्होंने अभियोजन पक्ष पर गुमनाम गवाहों के दबाव में दिए गए बयान पर निर्भर रहने का आरोप लगाया. हसीना ने कहा कि वह किसी निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय अदालत में पेश होने को तैयार हैं, लेकिन अंतरिम सरकार इससे बच रही है क्योंकि 'ICC मुझे बरी कर देगा'.