नई दिल्ली: बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 (आईसीआर-1) ने जुलाई-अगस्त 2024 के आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और हत्याओं के लिए मौत की सजा सुनाई. हसीना और दो अन्य - पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमलैंड और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून - पर मानवता के विरुद्ध अपराधों का मुकदमा चलाया गया.
एस. हसीना को तीन मामलों में दोषी पाया गया है. न्याय में बाधा डालना, हत्याओं का आदेश देना, तथा दंडात्मक हत्याओं को रोकने के लिए कदम उठाने में विफल रहना ये वो तीन मामले हैं.
न्यायाधिकरण ने बांग्लादेश के पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामुन को मृत्युदंड से बख्श दिया. अल-मामुन को सरकारी गवाह बनने के बाद मृत्युदंड दिया गया.
कई रिपोर्टों का हवाला देते हुए, न्यायाधिकरण के न्यायाधीशों ने कहा कि इस बात के प्रमाण हैं कि हसीना ने खुद ढाका में प्रदर्शनकारियों पर हेलीकॉप्टरों और घातक हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दिया था. यह भी कहा गया कि उनकी सरकार ने इलाज से इनकार कर दिया, पीड़ितों को झूठे नामों से भर्ती कराया और गोली लगने की चोटों को छिपाया. एक डॉक्टर को अबू सईद की पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदलने की धमकी भी दी गई.
सोमवार को न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मोजुमदार की अध्यक्षता वाली आईसीटी द्वारा सुनाई गई सजा का सीधा प्रसारण किया गया. न्यायाधीशों ने शेख हसीना को मानवता के विरुद्ध अपराधों के मामले में दोषी ठहराते हुए छह खंडों में विभाजित 453 पृष्ठों के फैसले के अंश पढ़े.
पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामुन, जो अभियोजन पक्ष के गवाह बन गए हैं, इस मामले में सह-आरोपी थे.
फैसले के बाद ढाका में किले जैसी सुरक्षा व्यवस्था कर दी गई है. सेना और पुलिस की संयुक्त तैनाती सड़कों, सरकारी दफ्तरों और अदालत परिसर के आसपास की गई है. कई जगह कर्फ्यू जैसे हालात हैं. सरकार किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए प्रशासन को सतर्क रखे हुए है. भीड़भाड़ वाली जगहों पर निगरानी बढ़ा दी गई है.