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India Daily

जर्मनी के चिड़ियाघर में 12 बबूनों को मारकर शिकारियों को खिलाया गया, विरोध में प्रदर्शन तेज़, 7 गिरफ्तार

जर्मनी के न्यूरेंबर्ग चिड़ियाघर ने अधिक संख्या में हो चुके गिनी बबून बंदरों को मारकर मांसभक्षी जानवरों को खिला दिया, जिससे पशु अधिकार कार्यकर्ताओं में आक्रोश फैल गया. विरोध के दौरान सात प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है. इस घटना ने यूरोप के चिड़ियाघरों में जानवरों की जनसंख्या नियंत्रण नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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Edited By: Kuldeep Sharma
baboon culling
Courtesy: WEB

जर्मनी के न्यूरेंबर्ग शहर में स्थित एक मशहूर चिड़ियाघर में 12 स्वस्थ गिनी बबून बंदरों को मार दिए जाने और उन्हें शिकारियों को खिला देने का मामला सामने आया है. चिड़ियाघर के इस फैसले ने न सिर्फ स्थानीय लोगों को झकझोर कर रख दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय पशु अधिकार संगठनों को भी नाराज कर दिया है. जहां एक ओर चिड़ियाघर प्रबंधन इसे 'अंतिम और मजबूरन उठाया गया कदम' बता रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे अमानवीय और अवैध कृत्य कहकर प्रदर्शन हो रहे हैं.

न्यूरेंबर्ग चिड़ियाघर की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, बबून बंदरों की संख्या enclosure में 25 से अधिक हो गई थी, जबकि इसकी क्षमता अधिकतम 25 जानवरों की ही थी. हाल के वर्षों में यह संख्या 40 से भी ऊपर चली गई, जिससे आपसी संघर्ष बढ़ने लगे. चिड़ियाघर के निदेशक डैग एंके ने कहा कि बंदरों को मारने का निर्णय वर्षों की योजना और यूरोपीय एसोसिएशन ऑफ जूज एंड एक्वेरिया (EAZA) के मानकों के तहत लिया गया. उन्होंने कहा, "जब कोई अन्य विकल्प उपलब्ध न हो, तब प्रजाति के हित में चयनात्मक हत्या एक वैध अंतिम उपाय हो सकती है."

पशु प्रेमियों का फूटा गुस्सा

इस फैसले के बाद मंगलवार सुबह चिड़ियाघर को अस्थायी रूप से 'ऑपरेशनल कारणों' से बंद कर दिया गया, लेकिन यह बंद प्रदर्शन की आग को और भड़का गया. कई पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने चिड़ियाघर की बाड़ फांदकर प्रदर्शन किया. एक महिला ने तो प्रवेश द्वार के पास ज़मीन पर अपने हाथ तक चिपका दिए. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर सात कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि चिड़ियाघर की लापरवाह प्रजनन नीति के कारण जानवरों को मारना पड़ा, जो कि न सिर्फ अमानवीय, बल्कि गैरकानूनी भी है.

अंतरराष्ट्रीय आलोचना और नीतियों पर सवाल

इस पूरे प्रकरण ने यूरोपीय चिड़ियाघरों की जनसंख्या नियंत्रण नीतियों पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं. 'प्रो वाइल्डलाइफ' नामक एक प्रमुख पशु अधिकार संगठन ने इस कदम को "टाला जा सकने वाला और अवैध" बताया. संगठन के प्रवक्ता ने कहा, "स्वस्थ जानवरों की हत्या इस बात का नतीजा है कि चिड़ियाघर ने वर्षों तक गैर-जिम्मेदाराना और अस्थायी प्रजनन नीतियां अपनाईं." इससे पहले भी यूरोपीय चिड़ियाघरों पर ऐसे आरोप लगते रहे हैं, लेकिन इस बार सार्वजनिक आक्रोश अधिक व्यापक रूप में सामने आया है.