नई दिल्ली: गाजा में अमेरिकी भाड़े के सैनिकों की मौजूदगी को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. हाल ही में सामने आई रिपोर्ट्स ने बताया है कि गाजा में चल रहे राहत केंद्रों की सुरक्षा की जिम्मेदारी एक ऐसी अमेरिकी कंपनी के पास है जिसमें इस्लाम विरोधी विचार रखने वाले बाइकर गैंग के सदस्य शामिल हैं. गाजा में मौजूद कई एजेंसियों ने इस कंपनी और उसकी काम करने की तरीके पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
ऑक्सफैम सहित 150 से अधिक संस्थाओं ने इस मॉडल की कड़ी आलोचना की है और इसे मानवीय मानकों के खिलाफ बताया है. यूएन सुरक्षा परिषद में अमेरिका की मदद से एक इंटरनेशनल स्टेब्लाइजेशन फोर्स को मंजूरी दी गई है. यह यूएन के बजाय एक नए 'बोर्ड ऑफ पीस' के लिए जवाबदेह होगा. इसकी अध्यक्षता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप करेंगे. यह बोर्ड पुनर्निर्माण, राहत और सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े फैसले लेगा.
अमेरिका के नेतृत्व वाले सिविल मिलिट्री कोऑर्डिनेशन सेंटर यानी CMCC को गाजा प्लान के अगले चरण को संभालने की जिम्मेदारी दी गई है. हालांकि इस प्रक्रिया में किसी भी फिलिस्तीनी प्रतिनिधित्व को शामिल न किए जाने से आलोचना लगातार बढ़ रही है. इसी बीच गाजा में राहत केंद्रों पर काम करने वाली अमेरिकी कंपनी UG सॉल्यूशंस चर्चा में आ गई है.
बीबीसी की जांच में यह खुलासा हुआ कि गाजा में तैनात इसके कम से कम 40 भाड़े के सैनिक अमेरिका के 'इन्फिडेल्स मोटरसाइकिल क्लब' नामक बाइकर गैंग से जुड़े हुए हैं. यह गैंग खुद को मॉडर्न क्रूसेडर बताता है और कई बार खुले तौर पर मुस्लिम विरोधी कंटेंट पोस्ट करता रहा है. गाजा में इस गैंग के कई सदस्य सुरक्षा संचालन में बड़े पदों पर तैनात थे. इनमें जॉनी मॉल्फोर्ड, लैरी जैरेट और बिल सीबे जैसे नाम शामिल हैं.
इनके सोशल मीडिया पोस्ट भी विवादों का कारण बने हैं जिनमें वे रेगिस्तानी इलाके में हथियारों के साथ दिख रहे थे. कई पोस्ट में गाजा का मजाक उड़ाने वाले संदेश भी शामिल थे. हालांकि UG सॉल्यूशंस ने इस तरह की किसी भी भूमिका से खुद को अलग बताया है लेकिन जांच में सामने आए तथ्य स्थिति को उलझा रहे हैं.
उधर गाजा में काम करने वाली कई संस्थाओं ने GHF नामक संगठन पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि GHF मानवीय मानकों का पालन नहीं करता है और इसने चार बड़े मिलिट्री डिस्ट्रीब्यूशन साइट्स बनाकर पुराने 400 मदद केंद्रों की जगह ले ली. इससे लाखों लोगों को भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने को मजबूर होना पड़ा. डॉक्टर विदआउट बॉर्डर्स ने इसे मानवीय सहायता की आड़ में हिंसा बताया है. गाजा की हेल्थ मिनिस्ट्री ने दावा किया है कि इन केंद्रों पर कई लोगों की मौत हुई है.