नई दिल्ली: 2026 फीफा विश्व कप का ड्रॉ इस बार सिर्फ खेल नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति के रंगों से भी सराबोर नजर आया. ड्रॉ कार्यक्रम के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को फीफा का पहला शांति पुरस्कार देकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक अनोखा संदेश दिया गया. फीफा ने इस सम्मान को उन व्यक्तियों के लिए बनाया है जिनके प्रयास वैश्विक शांति को बढ़ावा देते हैं.
वाशिंगटन डीसी के कैनेडी सेंटर में हुए समारोह को दुनिया भर में लाइव प्रसारित किया गया. कार्यक्रम में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सहित कई विश्व नेताओं के संदेश दिखाए गए. ट्रम्प के कूटनीतिक प्रयासों को वीडियो मोंटाज के जरिए उजागर किया गया, जिससे यह आयोजन राजनीतिक और खेल दोनों मोर्चों पर चर्चित बन गया.
'यह सचमुच मेरे जीवन के सबसे बड़े सम्मानों में से एक है. पुरस्कारों से परे, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमने लाखों लोगों की जान बचाई. कांगो इसका एक उदाहरण है. वहां एक करोड़ से ज़्यादा लोग मारे गए थे, और यह संख्या बहुत तेजी से एक करोड़ और लोगों की ओर बढ़ रही थी. मुझे इस बात पर बहुत गर्व है कि हम हस्तक्षेप कर पाए और इसे रोकने में मदद कर पाए. भारत-पाकिस्तान के साथ भी, और कई अलग-अलग संघर्षों को हम समाप्त करने में सक्षम रहे, कुछ मामलों में तो उनके शुरू होने से पहले ही.'
उन्होंने आगे कहा, 'देर हो रही थी, लेकिन हमने उन्हें पूरा कर लिया. और जियानी (इन्फेंटिनो) के साथ होना मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है. मैं जियानी को इतने लंबे समय से जानता हूं. उन्होंने अविश्वसनीय काम किया है, और मुझे कहना होगा कि आपने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं. टिकटों की बिक्री, और अभी इस बारे में बात नहीं कर रहा, लेकिन यह आपके और फुटबॉल के खेल के लिए, या जैसा कि हम इसे सॉकर कहते हैं, एक अद्भुत श्रद्धांजलि है. यह संख्या किसी के भी अनुमान से परे है, यहाँ तक कि जियानी के विश्वास से भी परे है.'
ट्रंप, जो बार-बार खुद को 'शांति का राष्ट्रपति' कहते रहे हैं, ने गले में एक पदक और हाथों में ग्लोब लिए एक स्वर्ण ट्रॉफी पहनकर पुरस्कार ग्रहण किया. अपने भाषण के दौरान, उन्होंने भारत-पाकिस्तान और रूस-यूक्रेन युद्धों सहित कई वैश्विक संघर्षों को समाप्त करने का श्रेय लिया, और खुद को नोबेल शांति पुरस्कार के योग्य उम्मीदवार के रूप में पेश किया. उन्होंने हाल के हफ्तों में यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस का नाम बदलकर डोनाल्ड जे. ट्रंप यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस भी कर दिया है.
ट्रम्प के नाम वाली ट्रॉफी के पास खड़े इन्फेंटिनो ने जोरदार शब्दों में राष्ट्रपति की प्रशंसा की. इस पुरस्कार ने खेल और राजनीतिक दोनों हलकों में तुरंत चर्चा का विषय बना दिया. फ़ीफ़ा ने ज़ोर देकर कहा कि यह फ़ैसला '5 अरब से ज़्यादा फ़ुटबॉल प्रशंसकों' की ओर से लिया गया है, लेकिन आलोचकों ने वैश्विक फ़ुटबॉल समारोहों को राजनीतिक संदेश के साथ मिलाने के तरीक़े पर सवाल उठाए.