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पाकिस्तान में लगी एजुकेशन एमरजेंसी! अंतर्राष्ट्रीय साक्षर दिवस पर पीएम शहबाज का ऐलान

पाकिस्तान में शिक्षा के हालात काफी खराब हैं. पीएम शहबाज शरीफ ने अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर देश में स्कूल न जाने वाले लगभग 26 मिलियन बच्चों को शिक्षित करने के लिए शिक्षा आपातकाल की घोषणा की है.

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Pakistan PM Shehbaz Sharif
Courtesy: Social Medai

पाकिस्तान ने रविवार को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर देश में स्कूल न जाने वाले लगभग 26 मिलियन बच्चों को शिक्षित करने के लिए शिक्षा आपातकाल की घोषणा की. सरकारी समाचार पत्र एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस कदम की घोषणा की और निजी क्षेत्र तथा नागरिक संगठनों से सरकार के साथ हाथ मिलाने का आग्रह किया.

72 वर्षीय पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज नेता शहबाज शरीफ ने कहा कि हमने पूरे देश में शैक्षिक आपातकाल घोषित कर दिया है, छात्रों के लिए नामांकन अभियान शुरू किया है और स्कूलों में बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन शुरू किया है. उन्होंने कहा कि साक्षरता एक मौलिक मानवीय और संवैधानिक अधिकार है जो हमारे देश के भविष्य की गारंटी देता है. 

पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करेगी सरकार

प्रधानमंत्री ने बताया कि स्कूल छोड़ने की दर को कम करने तथा प्रत्येक बच्चे को अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने छात्रवृत्ति तथा अन्य प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की हैं. प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि इस तेजी से उभरती दुनिया में प्रौद्योगिकी के अनुरुप पढ़ाई जरुरी है. उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षा प्रणाली में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के लिए एक व्यापक योजना को लागू कर रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि युवाओं को डिजिटल अर्थव्यवस्था में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल से लैस किया जाए.

उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र और नागरिक समाज संगठन सरकार के प्रयासों में समान भागीदार हैं. प्रभावी साझेदारियां स्थापित करके हम शिक्षा को रोजगार और स्वरोजगार के अवसरों से जोड़ सकते हैं, जिससे अधिक मजबूत और समावेशी कार्यबल का निर्माण हो सकेगा. इससे पहले मई में, शहबाज ने शिक्षा आपातकाल की घोषणा की थी और स्कूल न जाने वाले लगभग 26 मिलियन बच्चों को दाखिला दिलाने का संकल्प लिया था.

दुनिया में 754 मिलियन वयस्क निरक्षर!

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 8 सितंबर को मनाया जाता है ताकि नीति निर्माताओं, अभ्यासकर्ताओं और जनता को अधिक साक्षर, न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और टिकाऊ समाज के निर्माण के लिए साक्षरता के महत्वपूर्ण महत्व की याद दिलाई जा सके. यूनेस्को ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि शिक्षा तक पहुंच की कमी एक महत्वपूर्ण बाधा बनी हुई है, क्योंकि विकासशील देशों में चार में से तीन बच्चे 10 वर्ष की आयु तक बुनियादी पाठ्य सामग्री को पढ़ या समझ नहीं सकते हैं, तथा विश्वभर में अभी भी 754 मिलियन वयस्क निरक्षर हैं, जिनमें से दो तिहाई महिलाएं हैं.