जापान में महसूस किए गए भूकंप के जोरदार झटके, 10 फीट ऊंची सुनामी का अलर्ट जारी
जापान के उत्तरी तट के पास सोमवार को एक शक्तिशाली भूकंप आया है. जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी के मुताबिक, भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.2 मापी गई. इसका केंद्र आओमोरी और होक्काइडो के तटीय क्षेत्रों के पास था.
नई दिल्ली: जापान के उत्तरी तट के पास सोमवार को एक शक्तिशाली भूकंप आया है. जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी के मुताबिक, भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.2 मापी गई. इसका केंद्र आओमोरी और होक्काइडो के तटीय क्षेत्रों के पास था. फिलहाल, इस भूकंप से हुए नुकसान का सही आंकड़ा सामने नहीं आया है.
सुनामी की चेतावनी जारी
भूकंप के चलते एजेंसी ने प्रभावित तटीय क्षेत्रों के लिए सुनामी की चेतावनी भी जारी की है. समुद्री लहरें लगभग 3 मीटर (10 फीट) तक ऊंची हो सकती हैं. स्थानीय प्रशासन ने लोगों से तुरंत सुरक्षित स्थानों पर जाने का अनुरोध किया है और स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.
रात 11:15 बजे आया भूकंप
यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, यह भूकंप स्थानीय समयानुसार रात 11:15 बजे आया है. इसका केंद्र जापान के उत्तरी तट से करीब 44 मील की दूरी पर और लगभग 33 मील की गहराई में था. जापानी एजेंसी का कहना है कि भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा इशिकावा प्रांत और उसके आसपास के इलाकों में देखा जा सकता है.
भूकंप क्यों आता है?
पृथ्वी की सतह के नीचे सात बड़ी प्लेटें लगातार घूमती रहती हैं. जब ये प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं, तो यह क्षेत्र फॉल्ट लाइन कहलाता है. लगातार टकराने के कारण प्लेटों के किनारे मुड़ जाते हैं और जब दबाव अत्यधिक बढ़ जाता है, तो प्लेटें टूटती हैं. इससे धरती के भीतर जमा ऊर्जा बाहर निकलती है और भूकंप आता है.
भूकंप का केंद्र और तीव्रता क्या होती है?
भूकंप का केंद्र वह स्थान होता है, जहां प्लेटों की हलचल सबसे ज्यादा होती है और वहीं से ऊर्जा बाहर निकलती है. केंद्र के पास कंपन सबसे ज्यादा महसूस होता है और जैसे-जैसे दूरी बढ़ती है, कंपन का असर कम होता जाता है. रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक तीव्रता वाला भूकंप आसपास के 40 किलोमीटर तक क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है.
भूकंप की तीव्रता कैसे मापी जाती है?
भूकंप को रिक्टर स्केल से मापा जाता है, जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहते हैं. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 1 से 9 तक मापी जाती है. भूकंप के दौरान धरती के भीतर से निकलने वाली ऊर्जा की मात्रा इसी पैमाने से तय की जाती है, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि भूकंप के झटके कितने शक्तिशाली होंगे.
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