Donald Trump Tariffs: ट्रंप का टैरिफ बम! तांबे और दवाओं पर भारी शुल्क से भारत को लगेगा तगड़ा झटका?

भारत अमेरिका के साथ एक लघु-व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, और सभी क्षेत्रीय शुल्क इसके अंतर्गत आने की संभावना है. यदि 1 अगस्त की समय-सीमा से पहले यह सौदा अंतिम रूप ले लेता है, तो नए शुल्कों का भारतीय बाजारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने की संभावना है.

Pinterest
Reepu Kumari

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्टील और एल्युमीनियम के आयात पर इसी तरह के शुल्क लगाने के बाद तांबे पर भी 50 प्रतिशत का नया शुल्क लगाने की घोषणा की है. उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि अमेरिका द्वारा आयातित दवाओं पर शुल्क एक साल बाद 200 प्रतिशत तक बढ़ सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि वह दुनिया भर की दर्जनों अर्थव्यवस्थाओं पर लागू होने वाले उच्च अमेरिकी शुल्कों की 1 अगस्त की समयसीमा को आगे नहीं बढ़ाएंगे. 

यह कदम नई दिल्ली के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका भारत का फार्मास्यूटिकल्स के लिए सबसे बड़ा विदेशी बाजार है और तांबा तथा तांबा उत्पादों का एक प्रमुख निर्यातक है. 

ट्रम्प ने क्या कहा?

ट्रम्प ने मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में कहा, 'आज हम तांबे पर काम कर रहे हैं. मेरा मानना ​​है कि हम तांबे पर टैरिफ को 50 प्रतिशत करने जा रहे हैं.'

तांबे पर कर लगाने से क्षेत्र-विशेष पर की जाने वाली कार्रवाइयों की श्रृंखला का विस्तार होगा, जिसे रिपब्लिकन ने व्हाइट हाउस में लौटने के बाद से लागू किया है और इससे धातु की कीमतें आसमान छू रही हैं.

वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने इसके तुरंत बाद सीएनबीसी को बताया कि यह दर संभवतः जुलाई के अंत में या 1 अगस्त को लागू की जाएगी.

ट्रम्प ने दिया झटका 

ट्रम्प ने यह भी कहा कि वाशिंगटन जल्द ही फार्मास्यूटिकल्स के संबंध में घोषणा करेगा, लेकिन अधिकारी निर्माताओं को अपने परिचालन को देश में स्थानांतरित करने के लिए समय देंगे.

उन्होंने कहा, 'हम लोगों को आने के लिए लगभग एक, डेढ़ साल का समय देंगे और उसके बाद उन पर टैरिफ लगाया जाएगा. उन पर बहुत-बहुत ऊंची दर से टैरिफ लगाया जाएगा, जैसे 200 प्रतिशत.'

हाल के महीनों में, ट्रम्प ने तांबा, फार्मास्यूटिकल्स, लकड़ी, अर्धचालक और महत्वपूर्ण खनिजों के आयात की जांच के आदेश दिए हैं, जिससे और अधिक शुल्क लग सकते हैं.

ल्यूटनिक ने सीएनबीसी को बताया कि फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर पर अध्ययन इस महीने के अंत तक पूरा हो जाएगा, तथा इसके बाद ट्रम्प नीतियां निर्धारित करेंगे.

ट्रंप ने ब्रिक्स पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाने की अपनी धमकी को भी दोहराया और कहा कि यह समूह 'कोई गंभीर समूह नहीं है'. हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि यह अमेरिकी डॉलर को चुनौती दे रहा है. उन्होंने कहा, 'अगर आप डॉलर को चुनौती देना चाहते हैं तो यह ठीक है. लेकिन उन्हें टैरिफ का भुगतान करना होगा. मुझे नहीं लगता कि वे ऐसा चाहते हैं.'

इन टैरिफ का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

भारत ने 2024-25 में वैश्विक स्तर पर 2 बिलियन डॉलर मूल्य का तांबा और तांबा उत्पाद निर्यात किया. इसमें से अमेरिकी बाजारों को निर्यात 360 मिलियन डॉलर या 17 प्रतिशत रहा. व्यापार आंकड़ों के अनुसार, सऊदी अरब (26 प्रतिशत) और चीन (18 प्रतिशत) के बाद अमेरिका भारत का तीसरा सबसे बड़ा तांबा निर्यात बाजार है. 

लेकिन तांबा एक महत्वपूर्ण खनिज है और इसका इस्तेमाल ऊर्जा, विनिर्माण और बुनियादी ढांचे सहित सभी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर किया जाता है. नए टैरिफ के बाद अमेरिकी मांग में किसी भी तरह की गिरावट को घरेलू उद्योग द्वारा अवशोषित किए जाने की संभावना है. 

भारत को सबसे ज़्यादा नुकसान दवा क्षेत्र को हो सकता है. अमेरिका भारत का सबसे बड़ा विदेशी दवा बाज़ार है, जिसका निर्यात वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 9.8 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले वर्ष के 8.1 अरब डॉलर से 21 प्रतिशत ज़्यादा है. यह भारत के कुल दवा निर्यात का 40 प्रतिशत है.

इस क्षेत्र पर 200 प्रतिशत शुल्क लगाने से मांग पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, विशेषकर इसलिए क्योंकि भारत का जेनेरिक उद्योग संयुक्त राज्य अमेरिका में सस्ती दवाओं की आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

भारत अमेरिका के साथ एक लघु-व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, और सभी क्षेत्रीय शुल्क इसके अंतर्गत आने की संभावना है. यदि 1 अगस्त की समय-सीमा से पहले यह सौदा अंतिम रूप ले लेता है, तो नए शुल्कों का भारतीय बाजारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने की संभावना है.