US-China trade war: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर चीन के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव पर टिप्पणी की. उन्होंने लिखा, 'चीन को लेकर चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा! राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक सम्मानित नेता हैं, बस उन्होंने एक कठिन समय का सामना किया है. न वे अपने देश को मंदी में ले जाना चाहते हैं और न मैं चाहता हूं. अमेरिका चीन की मदद करना चाहता है, नुकसान नहीं.'
ट्रंप के इस बयान ने बाजारों में हल्की राहत जरूर दी, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल एक 'कूटनीतिक संदेश' है, जबकि जमीनी हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं.
इसी बीच अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने रविवार को फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि 'आने वाले हफ्तों में तय हो जाएगा कि चीन वास्तव में व्यापार युद्ध चाहता है या फिर वह समझदारी दिखाएगा.' उन्होंने कहा कि अमेरिका तैयार है, लेकिन वह चाहता है कि बीजिंग वार्ता के रास्ते पर लौटे. वेंस ने साफ कहा कि अगर चीन अपने रुख पर अड़ा रहा तो 'अमेरिका को मजबूरन जवाब देना पड़ेगा.'
यह बयान उस समय आया जब दोनों देशों के बीच रेयर अर्थ एक्सपोर्ट्स, तकनीकी निवेश, और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं पर नए प्रतिबंधों को लेकर खींचतान चल रही है.
चीन ने अमेरिका के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि दुर्लभ खनिजों पर नियंत्रण उसका वैधानिक अधिकार है. बीजिंग ने अपने बयान में कहा, 'हमारे कदम अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप हैं और वैश्विक शांति की रक्षा के लिए उठाए गए हैं.' साथ ही, चीन ने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका ने 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी को लागू किया तो वह 'दृढ़ और प्रभावी जवाबी कदम' उठाएगा. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि 'ट्रंप प्रशासन को समझना चाहिए कि सहयोग ही स्थिरता की कुंजी है, न कि दबाव.'
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव से न केवल दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन भी प्रभावित हो रही है. इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर, और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कीमतें बढ़ने का खतरा है. विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का 'सॉफ्ट टोन' बयान संकेत देता है कि वाशिंगटन अब भी बातचीत के दरवाजे बंद नहीं करना चाहता. हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजिंग इस बयान को 'मित्रता का संदेश' मानता है या 'राजनीतिक दबाव की चाल.'
जहां एक ओर वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच कड़े बयानबाजी जारी है, वहीं विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का हालिया ट्वीट यह संकेत देता है कि अमेरिका अब भी संवाद की संभावना बनाए रखना चाहता है. दोनों देशों के बीच होने वाली अगली उच्च-स्तरीय वार्ता अब निर्णायक मानी जा रही है. यदि यह वार्ता सकारात्मक रही, तो वैश्विक बाजारों में स्थिरता लौट सकती है.