हाल ही में ब्रिटेन के कुछ सांसदों ने इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड से अफ़ग़ानिस्तान के खिलाफ आगामी चैंपियंस ट्रॉफ़ी में होने वाले मैच का बहिष्कार करने की अपील की है. यह मांग अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों की स्थिति के कारण उठाई गई है, जहां तालिबान सरकार के तहत महिलाओं के शिक्षा, काम, और खेल के अधिकारों पर पाबंदियां लगाई गई हैं. इस मामले पर ब्रिटेन में चर्चा और विवाद बढ़ता जा रहा है.
इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड का रुख
अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट पर प्रतिबंध की चेतावनी
अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के पूर्व चेयरमैन नसीम दानिश ने इस मामले पर चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अगर महिलाओं के अधिकारों पर जारी पाबंदियां बनी रहती हैं, तो अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट पर भविष्य में प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है. दानिश का मानना है कि अगर अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो देश में क्रिकेट का भविष्य खत्म हो जाएगा. उनका यह भी कहना है कि अगर महिला क्रिकेट पर प्रतिबंध जारी रहता है, तो अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट पूरी तरह से खत्म हो सकता है, क्योंकि आईसीसी का फंड रुक जाएगा और प्रायोजक भी वापस चले जाएंगे.
ब्रिटिश सांसदों और पत्रकारों की अपील
ब्रिटेन के महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और राजनेताओं ने भी इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाई है. विशेष रूप से, प्रसिद्ध ब्रिटिश पत्रकार पीयर्स मॉर्गन ने इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड से यह अपील की है कि वह 26 फरवरी को होने वाले अफ़ग़ानिस्तान के खिलाफ मैच का बहिष्कार करें. उनका कहना है कि तालिबान द्वारा महिलाओं के खिलाफ जारी अत्याचारों के कारण इंग्लैंड को इस मैच का बहिष्कार करना चाहिए. उन्होंने इसे "तालिबान के घृणित दमन" के खिलाफ खड़ा होने की जरूरत बताया है.
आईसीसी और अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट
आईसीसी का मुख्य उद्देश्य क्रिकेट को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना है, और अफ़ग़ानिस्तान को पिछले कुछ वर्षों में इसका एक प्रमुख सदस्य माना गया है. हालांकि, अफ़ग़ानिस्तान के पास वर्तमान में कोई महिला क्रिकेट टीम नहीं है, जो आईसीसी के नियमों के खिलाफ है. इसके बावजूद, आईसीसी इस मुद्दे पर एक संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने की कोशिश कर रहा है और फिलहाल किसी भी कठोर कार्रवाई से बचने की कोशिश कर रहा है. हालांकि, आईसीसी के चेयरमैन जय शाह के नेतृत्व में कुछ बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति पर एक और गंभीर चर्चा हो सकती है.
अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट खिलाड़ियों पर दबाव
अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट टीम के खिलाड़ी, जैसे राशिद ख़ान और मोहम्मद नबी, भी महिला अधिकारों के मुद्दे पर अपनी चिंता जता चुके हैं. उन्होंने तालिबान से अपील की है कि वह महिलाओं के अधिकारों को बहाल करें और क्रिकेट को राजनीति से अलग रखें. हालांकि, अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट टीम में दबाव बढ़ रहा है, और यह टीम अब तक तालिबान के झंडे के तहत खेलने से मना कर चुकी है.
जब ऑस्ट्रेलिया ने अफ़ग़ानिस्तान के खिलाफ मैच रद्द किया, तो कई अफ़ग़ान खिलाड़ियों ने इस मुद्दे पर सार्वजनिक बयान दिए और अपने विरोध को स्पष्ट किया.
महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के मत
अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट पर प्रतिबंध लगाने को लेकर महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के बीच मतभेद हैं. कुछ कार्यकर्ता मानते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट पर प्रतिबंध लगाने से तालिबान को फायदा होगा और इससे स्थिति और खराब हो सकती है. वहीं, दूसरे कार्यकर्ता मानते हैं कि प्रतिबंध लगाने से अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों पर सुधार हो सकता है, क्योंकि यह एक दबाव बनाने का तरीका हो सकता है.