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चीन ने कर्ज देकर फिर भर दी 'मालदीव' की झोली, आखिर कब चेतेंगे मुइज्जू?

China News: चीन और मालदीव ने आज एक नई वित्तीय संधि पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके तहत बीजिंग को पहले से ही कर्ज में डूबे मालदीव को अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान करने की अनुमति मिली है. इस समझौते से व्यापार और निवेश को भी सुदृढ़ करने की उम्मीद जताई गई है.

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: Social Media

China News: द्वीपीय राष्ट्र मालदीव जो पहले से ही भारी कर्ज का सामना कर रहा है किसी तरह डिफॉल्ट से बचने की कोशिश कर रहा है. चीन और मालदीव ने आज एक नई वित्तीय संधि पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके तहत बीजिंग को पहले से ही कर्ज में डूबे देश को अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करने की अनुमति मिलेगी. चीन के केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इस समझौते से व्यापार और निवेश को भी सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी. 

पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना और मालदीव के आर्थिक विकास मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन बीजिंग और माले को प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ावा देने और चालू खाता लेनदेन के लिए स्थानीय मुद्रा में निपटान की अनुमति देता है . चीन ने समझौते के बारे में कोई अन्य जानकारी नहीं दी है. 

चीन सहायता प्रदान करेगा 

चीन ने समझौते के बाद एक बयान में कहा कि उसने मालदीव के बढ़ते कर्ज पर सक्रिय संवाद किया है और वित्तीय सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन हमेशा की तरह, मालदीव के आर्थिक और सामाजिक विकास में अपनी क्षमता के अनुसार समर्थन और सहायता प्रदान करेगा. 

मालदीव के बढ़ते कर्ज की चिंता

मालदीव के कर्ज की स्थिति गंभीर है और यह तेजी से बढ़ रही है. मालदीव सरकार ने गुरुवार को वादा किया कि वह अगले महीने देय 25 मिलियन डॉलर का भुगतान करने में विफल होकर इस्लामी संप्रभु ऋण पर चूक करने वाला पहला देश नहीं बनेगा. विश्व बैंक के अनुसार, मालदीव का सबसे बड़ा ऋणदाता चीन है और बीजिंग को कर्ज की राशि 1.3 बिलियन डॉलर से अधिक हो गई है.  चीन ने मालदीव को और अधिक समर्थन देने के लिए बातचीत की है.

नई सरकार का चीन के प्रति झुकाव

मालदीव का कर्ज संकट सरकार के परिवर्तन और इसके राजनीतिक और भू-राजनीतिक रुख के साथ आया है. मालदीव की नई सरकार चीन के प्रति अधिक झुकाव दिखा रही है जबकि वह जानती है कि उसके देश पर चीनी कर्ज बढ़ता जा रहा है. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी ने इस साल अप्रैल में हुए संसदीय चुनावों में एक शानदार जीत हासिल की. इस परिणाम ने द्वीप राष्ट्र के चीन के साथ संबंधों में तेजी से वृद्धि और भारत से पारंपरिक भागीदार की ओर बढ़ने का संकेत दिया है.