'हम चुप नहीं बैठेंगे', ड्रैगन ने लगाई दहाड़, कहा- 'अमेरिका से नहीं डरते', इनके साथ मिलकर चीन US का करेगा बंटाधार

Tariff War: अमेरिका द्वारा इस व्यापार युद्ध के बीच, अन्य देशों की स्थिति भी बदल रही है. दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों जैसे वियतनाम और कंबोडिया को भी नए शुल्कों का सामना करना पड़ा है, क्योंकि कई कंपनियों ने चीन से उत्पादन शिफ्ट किया है. ताइवान जैसे अमेरिकी सहयोगी देश भी इस शुल्क के तहत आ गए हैं, और वे भी अब सीधे अमेरिका से बातचीत करने के लिए तैयार हैं.

Imran Khan claims
Social Media

Tariff War: अमेरिका द्वारा चीन पर 125 प्रतिशत तक शुल्क लगाने के बाद, चीन ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वह चुप नहीं बैठेगा और अपनी “वैध अधिकारों और हितों” की रक्षा करेगा. चीन का कहना है कि वह अमेरिका के इस कदम के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देगा और इसकी पूरी दुनिया में आलोचना करेगा.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने एक नियमित प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "अमेरिका का यह कदम लोगों का समर्थन नहीं प्राप्त करेगा और यह असफल रहेगा." उनका कहना था कि चीन अपने अधिकारों के लिए किसी भी स्थिति में पीछे नहीं हटेगा और वह अपने हितों की रक्षा करेगा. चीन की यह प्रतिक्रिया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन के सामान पर 125 प्रतिशत शुल्क लगाने के बाद आई है.

अमेरिका का 90 दिन का शुल्क निलंबन

ट्रंप ने पहले 90 दिन के लिए अधिकांश देशों पर शुल्क निलंबन की घोषणा की, लेकिन चीन पर शुल्क दोगुना करके 125 प्रतिशत कर दिया. इसका जवाब चीन ने अमेरिका से आयात होने वाले सामान पर 84 प्रतिशत शुल्क बढ़ाकर दिया. इस युद्ध के बढ़ते तनाव के बीच, चीन ने केवल अमेरिका से बात करने के बजाय वैश्विक साझेदारों से संपर्क करना शुरू किया है.

यूरोपीय संघ और आसियान से संपर्क

चीन अब अमेरिका के खिलाफ एकजुटता की कोशिश कर रहा है और इसके लिए उसने यूरोपीय संघ और आसियान देशों से संपर्क किया है. चीन चाहता है कि दुनिया अमेरिका के इस कदम को "एकतरफा और आर्थिक अत्याचार" के रूप में देखे. चीन के अनुसार, यह कदम केवल अमेरिकी संप्रभुता को बढ़ाने की कोशिश है, जबकि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरे का संकेत है.

चीन का नैतिक पहलू

चीन ने दावा किया कि एक न्यायपूर्ण कारण को कई देशों का समर्थन मिलता है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, "एक न्यायपूर्ण कारण को कई देशों का समर्थन मिलता है." चीन ने अब तक यूरोपीय संघ से राजनयिक समर्थन हासिल कर लिया है, जिसमें चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के बीच कॉल और चीनी वाणिज्य मंत्री वांग वेनताओ और यूरोपीय संघ के व्यापार आयुक्त मारोस शेफकोविच के बीच वीडियो सम्मेलन शामिल हैं.

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

हालाँकि, चीन की अपील के बावजूद, सभी देश उसकी ओर नहीं झुके हैं. ऑस्ट्रेलिया, जो पहले चीनी आर्थिक प्रतिशोध से प्रभावित हो चुका है, ने तटस्थ रुख अपनाया है. इसके प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने कहा, "हम अपने पैरों पर खड़े हैं." वहीं, भारत ने चीन के आमंत्रण को ठुकरा दिया, और रूस, जो पहले चीन का सहयोगी रहा है, भी इस नए अमेरिकी शुल्क से अप्रभावित रहा है.

India Daily