PM Modi Japan Visit: भारत और जापान ने वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच अपनी रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का संकल्प लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिगेरू इशिबा ने टोक्यो में आयोजित वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में अगले एक दशक के लिए 10 ट्रिलियन येन (लगभग 68 बिलियन डॉलर) के निजी निवेश के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को अंतिम रूप दिया. इस साझेदारी का लक्ष्य प्रौद्योगिकी, डिजिटलीकरण, और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत करना है.
इस शिखर सम्मेलन का मुख्य फोकस आर्थिक और व्यापारिक सहयोग रहा. दोनों नेताओं ने सेमीकंडक्टर, दूरसंचार, फार्मास्यूटिकल्स, और उभरती प्रौद्योगिकियों में आपूर्ति श्रृंखला की लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए एक नई आर्थिक सुरक्षा पहल शुरू की. साथ ही, समकालीन रक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए सुरक्षा सहयोग पर एक संयुक्त घोषणा को भी अंतिम रूप दिया गया. मोदी ने संयुक्त मीडिया कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम दोनों इस बात पर सहमत हैं कि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं और जीवंत लोकतंत्रों के रूप में, हमारी साझेदारी न केवल हमारे दोनों देशों के लिए, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है." उन्होंने कहा, "एक बेहतर दुनिया के निर्माण में मज़बूत लोकतंत्र स्वाभाविक साझेदार होते हैं."
10 ट्रिलियन येन का निवेश लक्ष्य
जापान ने भारत में अगले दस सालों में 10 ट्रिलियन येन के निजी निवेश का लक्ष्य रखा है, जिसमें अंतरिक्ष, अगली पीढ़ी की गतिशीलता, और मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना जैसे क्षेत्र शामिल हैं. इशिबा ने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को मज़बूत करने की ज़िम्मेदारी हमारी है क्योंकि हम अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों में बढ़ती अस्पष्टता देख रहे हैं. क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए जापान और भारत को अपनी शक्तियों को एक साथ लाना होगा."पिछले निवेश लक्ष्य (2022-26 के लिए 5 ट्रिलियन येन) को समय से पहले हासिल करने के बाद, जापान अब भारत में नियामक सुधारों को और तेज करने का आग्रह कर रहा है ताकि जापानी कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को मज़बूत कर सकें.
उच्च प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष में साझेदारी
दोनों देशों ने डिजिटल साझेदारी 2.0 और एआई सहयोग पहल को बढ़ावा देने का निर्णय लिया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएक्सए) ने चंद्रयान-5 मिशन के लिए सहयोग पर हस्ताक्षर किए. इसके अतिरिक्त, मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना में जापानी शिंकानसेन तकनीक की शुरुआत पर सहमति बनी.
मानव संसाधन और रक्षा सहयोग
मोदी ने अगले पांच सालों में 5,00,000 लोगों के आदान-प्रदान की योजना की घोषणा की, जिसमें 50,000 कुशल भारतीय जापान की अर्थव्यवस्था में योगदान देंगे. इशिबा ने कहा, "जापानी अर्थव्यवस्था के विकास और स्थानीय समुदायों के उत्थान के लिए हमें भारत से और अधिक उच्च-कुशल प्रतिभाओं की आवश्यकता है."रक्षा सहयोग के तहत, दोनों नेताओं ने दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में चीन की आक्रामक गतिविधियों पर चिंता जताई और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र की वकालत की.