थाईलैंड और कंबोडिया के बीच थमी जंग, हिंदू मंदिर को लेकर दशकों से क्यों चल रहा विवाद?
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद को कम करने की दिशा में अहम कदम उठाया गया है. शनिवार को थाईलैंड के चंथाबुरी प्रांत में स्थित एक बॉर्डर चेकपॉइंट पर दोनों देशों की ओर से संघर्ष विराम (सीजफायर) समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.
नई दिल्ली: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद को कम करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है. शनिवार को थाईलैंड के चंथाबुरी प्रांत में स्थित एक बॉर्डर चेकपॉइंट पर दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने संघर्ष विराम (सीजफायर) समझौते पर हस्ताक्षर किए. थाईलैंड के रक्षा मंत्री नत्थापोन नाकपानिच और कंबोडिया के उप प्रधानमंत्री व रक्षा मंत्री टी सिया इस समझौते में शामिल रहे. इस दौरान आसियान के पर्यवेक्षक भी मौजूद थे, जिससे इस प्रक्रिया को क्षेत्रीय समर्थन मिला.
समझौते पर हस्ताक्षर किए गए
रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले शुक्रवार रात को कंबोडिया और थाईलैंड की जनरल बॉर्डर कमेटी की तीसरी विशेष बैठक हुई थी. इस बैठक में दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान के मसौदे की सामग्री पर सहमति बना ली थी. इसके बाद शनिवार सुबह करीब 9:40 बजे औपचारिक सीजफायर बातचीत शुरू हुई और उसी दिन समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए गए.
सीमा पर बिगड़े हालात
दरअसल, जुलाई में हुए संघर्ष विराम के टूटने के बाद 8 और 9 दिसंबर को सीमा पर हालात काफी बिगड़ गए थे. दोनों देशों के बीच हिंसा बढ़ गई थी. थाईलैंड की ओर से लड़ाकू विमानों और तोपखाने का इस्तेमाल किया गया, जबकि कंबोडिया ने रॉकेट दागकर जवाब दिया. खास तौर पर डांगरेक पर्वत श्रृंखला के आसपास झड़पों की खबरें सामने आई. यह पहाड़ी इलाका उत्तर-पूर्वी थाईलैंड और उत्तरी कंबोडिया तक फैला हुआ है और रणनीतिक दृष्टि से काफी अहम माना जाता है.
दशकों से चल रहा विवाद
इस सीमा क्षेत्र में कई प्राचीन खमेर मंदिर मौजूद हैं, जो सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण हैं. इन्हीं ऊंचे इलाकों और मंदिरों के आसपास नियंत्रण को लेकर दोनों देशों के बीच दशकों से विवाद चला आ रहा है. हालिया तनाव के दौरान इन इलाकों में फिर से सैनिकों की आवाजाही, गोलाबारी और हवाई अभियानों की गतिविधियां देखी गई.
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने क्या फैसला दिया था?
इस विवाद की जड़ें बीसवीं सदी की शुरुआत से हैं, जब कंबोडिया में फ्रांसीसी शासन के दौरान सीमा रेखाएं तय की गई थी. थाईलैंड का मानना है कि उस समय बनाए गए कुछ नक्शों में सीमा का निर्धारण सही तरीके से नहीं हुआ था और प्राकृतिक सीमाओं, जैसे जल-विभाजक रेखाओं, को नजरअंदाज किया गया था. विवाद का सबसे संवेदनशील मुद्दा प्रेह विहार मंदिर को लेकर है. वर्ष 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने फैसला दिया था कि मंदिर कंबोडिया का है, लेकिन आसपास की जमीन के स्वामित्व को स्पष्ट नहीं किया गया. इसी वजह से दोनों देशों के बीच अलग-अलग व्याख्याएं सामने आती रही हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति का बयान
हाल के तनाव के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि उन्होंने दोनों देशों के नेताओं से बातचीत की है और संघर्ष रोकने को लेकर सकारात्मक संकेत मिले हैं. हालांकि इसके बावजूद शुक्रवार तक सीमा पर झड़पें जारी रहीं.
कंबोडिया ने आरोप लगाया कि थाईलैंड ने एफ-16 विमानों से उसके एक गांव पर बम गिराए, जबकि थाईलैंड ने इसे अपनी सुरक्षा के लिए जरूरी कदम बताया. अब उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ दिनों में यह संघर्ष विराम जमीन पर पूरी तरह लागू हो जाएगा और सीमा पर शांति बहाल होगी.