नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल के खिलाफ गुरुवार (5 जून) को भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज किया गया है. बता दें कि, यह कार्रवाई योग गुरु रामदेव की पतंजलि योगपीठ और आयुर्वेद कंपनी को तय सीमा से अधिक भूमि की बिक्री और अदला-बदली की अनुमति देने के मामले में की गई है. इसके साथ ही, माधव कुमार की संसद सदस्यता भी निलंबित कर दी गई है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल की भ्रष्टाचार निरोधक संस्था, कमीशन फॉर द इन्वेस्टिगेशन ऑफ अब्यूज ऑफ अथॉरिटी (सीआईएए), ने माधव कुमार नेपाल के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज किया है. उन पर आरोप है कि फरवरी 2010 में, अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान, माधव कुमार ने पतंजलि योगपीठ को योग केंद्रों, आयुर्वेदिक संस्थानों, और हर्बल उद्योगों के लिए छूट के तहत भूमि खरीद की मंजूरी दी थी. सीआईएए का कहना है कि यह निर्णय नियमों का उल्लंघन करते हुए लिया गया था.
जानिए क्या है पूरा मामला?
पतंजलि ने 2010 में रियायती दरों पर जमीन खरीदी थी, जिसका उपयोग उद्योग, हर्बल औषधि की खेती, योग स्टूडियो, और अस्पतालों जैसे बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए किया गया. इस मामले में माधव कुमार के अलावा पूर्व कानून मंत्री प्रेम बहादुर सिंह, तत्कालीन भूमि सुधार मंत्रालय के सचिव छविराज पंत सहित 93 अन्य लोगों को भी अभियुक्त बनाया गया है.
सांसदी निलंबन का प्रावधान
नेपाल के कानून के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज होता है, तो उसकी संसद सदस्यता स्वतः निलंबित हो जाती है. इसी प्रावधान के तहत माधव कुमार नेपाल की सांसदी को निलंबित किया गया है. यह कदम नेपाल की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संकेत देता है.
जांच और भविष्य की कार्रवाई
सीआईएए ने इस मामले में गहन जांच-पड़ताल शुरू कर दी है. बता दें कि, यह मामला नेपाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत प्रभावशाली व्यक्तियों को भी जवाबदेह ठहराया जा रहा है. इस घटना ने पतंजलि के व्यावसायिक लेनदेन और नेपाल की सरकारी नीतियों पर सवाल उठाए हैं.