नई दिल्ली: सूडान में इंसानियत पर सबसे भयानक हमला हो चुका है. दारफुर के एल-फशर शहर में रैपिड सपोर्ट फोर्सेस (RSF) के कब्जे के बाद हुए नरसंहार के दृश्य अब अंतरिक्ष से दिखाई दे रहे हैं.
सैटेलाइट तस्वीरों में लाल धब्बों को खून और शरीर जैसी आकृतियों के रूप में पहचाना गया है. यह दृश्य मानवता के लिए एक चेतावनी हैं कि दुनिया के सबसे बड़े मानवीय संकट को अभी भी नजरअंदाज किया जा रहा है.
येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की ह्यूमैनिटेरियन रिसर्च लैब (HRL) की रिपोर्ट के मुताबिक, 27 अक्टूबर को ली गई सैटेलाइट तस्वीरों में एल-फशर शहर में नरसंहार के भयावह निशान दिखे. तस्वीरों में लाल धब्बे और इंसानों जैसी आकृतियां नजर आईं. विश्लेषकों ने पाया कि ये निशान वहीं हैं जहां लोगों को गोलियों से मारा गया. यह क्षेत्र दराजा औला मोहल्ले के पास है, जहां नागरिकों ने शरण ली थी.
एल-फशर का पतन सूडान के गृहयुद्ध में एक बड़ा मोड़ साबित हुआ. अप्रैल 2023 में यह संघर्ष शुरू हुआ जब सेना प्रमुख जनरल अब्देल फत्ताह अल-बुरहान और RSF कमांडर मोहम्मद हमदान दागालो (हेमदती) के बीच सत्ता की लड़ाई छिड़ी. RSF ने शहर के कई सैन्य ठिकानों पर कब्जा कर लिया. सैटेलाइट तस्वीरों में टी-55 टैंक और हथियारों के निशान दिखाई दिए जो इस हमले की तीव्रता बताते हैं.
RSF की जड़ें कुख्यात जंजावीद मिलिशिया में हैं, जिसने 2000 के दशक में दारफुर नरसंहार को अंजाम दिया था. इन्हें कभी 'घोड़ों पर सवार शैतान' कहा जाता था. अब उनके पास घोड़े नहीं, ट्रक और ड्रोन हैं, लेकिन बर्बरता वैसी ही है. RSF गैर-अरब समुदायों- मसलात, जाघावा और बर्टी को निशाना बना रही है. महिलाओं से बलात्कार को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. अमेरिका ने RSF की कार्रवाई को जनसंहार करार दिया है.
दारफुर में हिंसा के कारण 1.2 करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं और 1.5 लाख मारे जा चुके हैं. एल-फशर से 26,000 से ज्यादा लोग भागे हैं. सैटेलाइट तस्वीरों में लोगों के झुंड दक्षिण की ओर जमजम आईडीपी कैंप और पश्चिम की ओर तवीलाह की ओर जाते दिखे. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2.5 करोड़ लोग भुखमरी जैसी स्थिति में हैं, जो गाजा से भी बदतर मानी जा रही है.
RSF की बर्बरता के पीछे सिर्फ सत्ता नहीं, बल्कि सोना भी है. दारफुर के सोने की खदानें RSF के कब्जे में हैं, जिनका सोना यूएई तक तस्करी होता है. इस सोने से वे ड्रोन और हथियार खरीद रहे हैं. यूएई ने हथियार देने से इनकार किया है, लेकिन रिपोर्टें कुछ और कहती हैं. दूसरी ओर, मिस्र, तुर्की और ईरान सूडानी सेना का समर्थन कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने इसे 'असहनीय' स्थिति बताया, लेकिन वैश्विक समुदाय अब भी खामोश है. सऊदी विश्लेषक सलमान अल-अंसारी ने कहा- 'यह आधुनिक युग का सबसे भयानक जनसंहार है.' सूडान अब विभाजन के कगार पर है. खून अब अंतरिक्ष से दिखता है, लेकिन पृथ्वी पर कोई नहीं देखता.