शेख हसीना की मौत की सजा पर ढाका में भड़की हिंसा, देशभर में हाई अलर्ट

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने मानवता के विरुद्ध अपराधों के मामले में मौत की सजा सुनाई, जिसके बाद ढाका में हिंसा भड़क उठी. हसीना ने फैसले को राजनीतिक साज़िश बताया, जबकि देशभर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई.

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Kanhaiya Kumar Jha

नई दिल्ली: बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है. अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी-बीडी) ने देश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की वरिष्ठ नेता शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है. फैसले के तुरंत बाद राजधानी ढाका सहित कई क्षेत्रों में हिंसा और प्रदर्शन भड़क उठे, जिसके चलते यूनुस सरकार ने पूरे देश में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है.

क्यों सुनाई गई मौत की सजा?

न्यायाधिकरण ने शेख हसीना को पिछले वर्ष देश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों को कुचलने के दौरान हुई हिंसा की ‘मुख्य साजिशकर्ता’ बताया. इन प्रदर्शनों में सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी. अदालत ने कहा कि हसीना ने बतौर प्रधानमंत्री मानवता के विरुद्ध गंभीर अपराध किए, जिनमें प्रदर्शनकारियों पर घातक कार्रवाई शामिल थी.

उनकी अनुपस्थिति में सुनाई गई इस सजा में यह भी उल्लेख है कि हसीना ने किन परिस्थितियों में सुरक्षा बलों को कठोर कार्रवाई करने की अनुमति दी, जिससे भारी जनहानि हुई. इनके साथ ही पूर्व गृह मंत्री असदोज्जमां खान कमाल को भी इसी मामले में मौत की सजा सुनाई गई है.

हसीना भारत में रह रहीं

गौर करने वाली बात यह है कि शेख हसीना पिछले वर्ष 5 अगस्त को उभरे व्यापक विरोध प्रदर्शनों के दौरान बांग्लादेश छोड़कर भारत पहुंच गई थीं. तब से वे यहीं रह रही थीं. अदालत ने उन्हें पहले ही भगोड़ा घोषित कर दिया था, और कानूनी नोटिसों पर पेश न होने के कारण मुकदमा उनकी अनुपस्थिति में चलाया गया.

78 वर्षीय नेता को अदालत ने हिंसक दमन का मास्टरमाइंड और प्रमुख सूत्रधार बताते हुए कहा कि उनके आदेशों और रणनीति के कारण बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मारे गए. महीनों तक चले इस मुकदमे के बाद न्यायाधिकरण ने यह कड़ा फैसला सुनाया.

हसीना ने न्यायाधिकरण को बताया अवैध

सजा के बाद हसीना ने बयान जारी कर कहा कि यह फैसला एक गैर-अधिकृत और अवैध न्यायाधिकरण द्वारा सुनाया गया है. उनके अनुसार इस न्यायाधिकरण का गठन और संचालन एक ऐसी सरकार द्वारा किया गया है जिसे जनता से कोई लोकतांत्रिक जनादेश प्राप्त नहीं है. उन्होंने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया.

देश में तनाव, सरकार अलर्ट पर

फैसले के बाद ढाका और अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. कई जगह पथराव, आगजनी और पुलिस-प्रदर्शनकारी भिड़ंत की खबरें मिली हैं. इन हालात को देखते हुए यूनुस सरकार ने सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा है और संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त तैनाती की गई है. राजनीतिक स्थिति लगातार बिगड़ रही है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस फैसले पर कड़ी नजर रखे हुए हैं.