नई दिल्ली: पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर एक बार फिर अपने विवादित और भड़काऊ बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं. अफ्रीकी और अरब देशों के दौरे पर निकले मुनीर ने लीबिया में दिए गए एक भाषण में मुस्लिम देशों से कथित तौर पर ‘अल्लाह के दुश्मनों’ के खिलाफ एकजुट होने की अपील की. उनके इस बयान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उकसावे भरा और कट्टर सोच को बढ़ावा देने वाला माना जा रहा है.
लीबिया में दिए गए इस भाषण का एक हिस्सा हाल ही में सार्वजनिक हुआ है. अंग्रेजी भाषा में दिए गए भाषण में असीम मुनीर ने मुस्लिम देशों के बीच धार्मिक एकजुटता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि आज पूरी मुस्लिम दुनिया दर्द और संकट के दौर से गुजर रही है. उनके अनुसार, बीते दो दशकों में कई मुस्लिम देश एक के बाद एक तबाह हो गए हैं.
मुनीर ने कहा कि अगर दुनिया की मौजूदा स्थिति पर नजर डाली जाए तो यह साफ दिखता है कि मुस्लिम देश लगातार कठिन हालात का सामना कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि सात या आठ बड़े मुस्लिम देशों को योजनाबद्ध तरीके से कमजोर किया गया है और यह सब उन ताकतों की साजिश का नतीजा है जो मुस्लिम दुनिया का पतन चाहती हैं.
अपने भाषण में असीम मुनीर ने कथित दुश्मनों के खिलाफ तैयार रहने की बात कही. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को पूरी ताकत के साथ तैयार रहने का निर्देश दिया गया है ताकि उन लोगों के दिलों में डर पैदा किया जा सके जो अल्लाह के दुश्मन हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ दुश्मन दिखाई देते हैं और कुछ ऐसे हैं जिन्हें इंसान नहीं जानता लेकिन अल्लाह जानता है.
असीम मुनीर ने अपने भाषण में यह दावा भी किया कि मुस्लिम देश इसलिए कमजोर हो रहे हैं क्योंकि अन्य देशों ने उनकी तकनीक चुरा ली है. इसी संदर्भ में उन्होंने पाकिस्तान को एक मजबूत और सक्षम देश के रूप में पेश करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पास हर तरह के उपकरण और तकनीक मौजूद है और मुस्लिम देशों को जो भी सहायता चाहिए, वह पाकिस्तान उनके दरवाजे तक पहुंचाने को तैयार है.
हालांकि, मुनीर का यह दावा कई सवाल खड़े करता है. मौजूदा समय में पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है और अरबों डॉलर के कर्ज में डूबा हुआ है. देश महंगाई, बेरोजगारी और विदेशी मुद्रा संकट जैसी समस्याओं से जूझ रहा है. ऐसे में पाकिस्तान को तकनीकी और आर्थिक मदद का केंद्र बताना कई लोगों को हास्यास्पद लग रहा है.
असीम मुनीर के इस बयान के बाद सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की आंतरिक नाकामियों से ध्यान हटाने के लिए सेना प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं. यह बयान न सिर्फ धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाला है, बल्कि पाकिस्तान की विदेश नीति को भी विवादों में घसीट सकता है.