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India Daily

Nicholas Burns Statement: 'भारत-पाक को एक जैसा देखना अमेरिका की भूल', फिर सुर्खियों में है निकोलस बर्न्स का पुराना बयान; VIDEO

US India Pakistan Relations: यूएसए 2025 में भारत के साथ अपनी रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है. ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के एक कार्यक्रम में अमेरिकी राजदूत निकोलस बर्न्स की टिप्पणी ने फिर से ध्यान आकर्षित किया है.

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Edited By: Ritu Sharma
US India Pakistan Relations
Courtesy: Social Media

US India Pakistan Relations: जैसे-जैसे अमेरिका और भारत के बीच 2025 में रणनीतिक और आर्थिक रिश्ते और मजबूत हो रहे हैं, वैसे ही अमेरिका के पूर्व राजदूत निकोलस बर्न्स का एक 2016 का बयान फिर से सुर्खियों में है. उस समय बर्न्स ने दो टूक शब्दों में कहा था कि भारत और पाकिस्तान को एक जैसा समझना अमेरिका के लिए बड़ी भूल होगी, क्योंकि दोनों के साथ अमेरिका के संबंधों की प्रकृति पूरी तरह अलग है.

'भारत के साथ रिश्ता कहीं ज्यादा सकारात्मक'

बता दें कि ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के एक कार्यक्रम में बोलते हुए बर्न्स ने कहा था, ''अगर हम भारत और पाकिस्तान को एक ही तरह से ट्रीट करें, तो यह एक बड़ी गलती होगी. भारत के साथ हमारा रिश्ता ज्यादा सकारात्मक, ज्यादा जुड़ा हुआ और गहराई वाला है, जबकि पाकिस्तान के साथ ऐसा नहीं है.'' उन्होंने साफ किया कि अमेरिका को दोनों देशों के साथ बराबरी का रिश्ता रखने की कोशिश नहीं करनी चाहिए क्योंकि भारत के साथ संबंध कहीं ज्यादा विश्वसनीय और रणनीतिक रूप से अहम हैं.

पाकिस्तान पर भरोसे की कमी

वहीं, बर्न्स ने पाकिस्तान को लेकर अमेरिका के रुख में आए बदलाव पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा, ''1999 के कारगिल संकट के दौरान हमारे पाकिस्तान के साथ बेहतर रिश्ते थे. तब राष्ट्रपति क्लिंटन और स्ट्रोब टैल्बॉट को इस्लामाबाद पर प्रभाव था.'' लेकिन 2016 तक यह स्थिति काफी बदल चुकी थी. उन्होंने कहा, ''अब राष्ट्रपति ओबामा के पास वैसा प्रभाव नहीं है, क्योंकि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई नहीं कर पाया. इसके चलते अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान में जानें गईं और विश्वास की कमी पैदा हुई.''

बताते चले कि बर्न्स ने पूर्व विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस के 2005 के भारत दौरे का जिक्र करते हुए कहा, ''कोंडी राइस बिल्कुल सही थीं जब उन्होंने कहा था कि अमेरिका को भारत और पाकिस्तान के साथ समान रणनीतिक दिलचस्पी नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि भारत के साथ हमारा रिश्ता बढ़ रहा है और मैं कभी नहीं चाहूंगा कि हम फिर से पुराने रास्ते पर लौटें.''

इंडो-पैसिफिक रणनीति में भारत की अहम भूमिका

इसके अलावा, 2025 में अमेरिका की इंडो-पैसिफिक नीति भारत को एक मुख्य साझेदार के तौर पर देख रही है. ऐसे में निकोलस बर्न्स के सालों पुराने शब्द आज फिर से प्रासंगिक हो गए हैं. अमेरिका अब पाकिस्तान को रणनीतिक संतुलन का हिस्सा नहीं बल्कि भारत के साथ मजबूत गठजोड़ की ओर बढ़ रहा है.