नई दिल्ली: RLD अध्यक्ष जयंत चौधरी इस दिनों सुर्खियों में बने हुए हैं. जंयत चौधरी की चर्चाओं में बने रहने की सियासी वजह तो बहुत है लेकिन जो सबसे खास वजह है वह है सपा के साथ चुनावी गठबंधन में बने रहने का. जयंत चौधरी को सियासी गलियारों में तमाम तरह के कयास लगाये जा रहे है. वैसे तो जंयत चौधरी विपक्षी गठबंधन INDIA में बने हुए है लेकिन गाहे-बगाहे NDA में जाने की चर्चा जोर पकड़ने लगती है.
अनुप्रिया पटेल ने जयंत चौधरी को दिया यह ऑफर
इसी बीच अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि "2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन पूर्ण बहुमत के साथ लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी करेगा. वहीं इंडिया गठबंधन में जितने दल शामिल हैं वो सारे दल हताश हैं. वो लंबे समय से सत्ता से दूर हैं उसी व्याकुलता के चलते सारे दल इकट्ठा हुए हैं. सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर के आने से हमारा कुनबा और मजबूत होगा और जो भी एनडीए गठबंधन में आना चाहते हैं सभी का स्वागत है.आरएलडी से लेकर तमाम दल जो एनडीए गठबंधन से जुड़ना चाहते हैं सभी का स्वागत है. सबको आना चाहिए. मोदी सरकार देश के लिए बेहतरीन काम कर रही है"
क्या जंयत चौधरी जाएंगे बीजेपी के साथ?
सियासी गलियारों में चल रही अटकलों की मानें तो जयंत चौधरी की बीजेपी के साथ सियासी खिचड़ी पक रही है. रालोद को लेकर बीजेपी के तमाम नेता बड़े संतुलित तरीके से जवाब देते है. ऐसे में जंयत चौधरी को लेकर बीजेपी नेताओं की नरमी तरह-तरह के सवालों तो जन्म देती है. सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो चली है कि बीजेपी यूपी में अपने सहयोगियों के जरिए और अपने तमाम राजनीतिक दूतों के जरिए जंयत यादव को NDA खेमे में आने का संदेश भिजवा रही है लेकिन विपक्षी गठबंधन इंडिया को मजबूत करने की बात कहते हुए उन्होंने ऐसी खबरों पर विराम लगा दिया है.
तमाम मौकों पर जंयत चौधरी ने बयान देकर यह साफ करने की कोशिश की है कि वह INDIA गठबंधन और समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव के साथ हैं. यूपी में सपा की सहयोगी दल रालोद भी विपक्षी गठबंधन इंडिया का हिस्सा है और रालोद के मुखिया जंयत चौधरी बीते दिनों बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक में हिस्सा भी लिए थे लेकिन दिल्ली सर्विस बिल पर राज्यसभा में वोटिंग के दौरान जयंत चौधरी की गैर मौजूदगी ने इंडिया गठबंधन को असहज स्थिति में डाल दिया था.
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