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Bangladesh Crisis: देश छोड़ने के बाद शेख हसीना ने भारत में ही क्यों ली शरण? जानें इतिहास के पन्नों से

बांग्लादेश में जारी हिंसक विरोध प्रदर्शन के बीच शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा देने के बाद हसीना ने अपना देश छोड़कर भारत में शरण ली है. लोगों के मन में यह सवाल हो सकता है कि आखिर हसीना ने भारत जाने का ही विकल्प क्यों चुना. वह किसी और देश में ही शरण ले सकती थीं फिर भारत ही क्यों...आइए जानते हैं.

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Edited By: India Daily Live
 Sheikh Hasina
Courtesy: Social media

Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में जारी उग्र प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद शेख हसीना ने भारत के लिए उड़ान भरी. सोमवार को शेख हसीना के हेलीकॉप्टर ने भारत के उत्तरपूर्वी शहर अगरतला में लैंडिंग की. अब कहा जा रहा है कि शेख हसीना ने अगरतला से दिल्ली के लिए उड़ान भरी है. कई लोगों के मन में यह सवाल होगा कि आखिर शेख हसीना ने  भारत में ही शरण क्यों ली. वह किसी अन्य देश को भी चुन सकती थीं फिर भारत ही क्यों? आइए जानते हैं...

  • शेख हसीना के लिए भारत को दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह माना जा सकता है, इसके कई कारण हैं.
  • सबसे पहला तो ये कि शेख हसीना की सरकार के साथ भारत के संबंध हमेशा से ही काफी मजबूत रहे हैं. जब-जब बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार बनी तब-तब भारत और बांग्लादेश के संबंधों ने नई ऊंचाइयों को छुआ. शेख हसीना का रुख हमेशा से ही भारत को लेकर सकारात्मक रहा है.
  • भारत बांग्लादेश के साथ 400 किलोमीटर की सीमा साझा करता है. दोनों देश दशकों से उग्रवाद से जूझ रहे हैं और ढाका में के मैत्रीपूर्ण शासन इससे निपटने में मददगार रहा है.
  • अपने शासन के दौरान शेख हसीना ने बांग्लादेश में भारत विरोधी उग्रवादियों पर नकेल कसने का काम किया.
  • हसीना 1996 में पहली बार चुनाव जीती थीं. तब से लेकर अब तक शेख हसीने ने ढाका और दिल्ली की दोस्ती का समर्थन किया है.
  • 2022 में जब हसीना भारत आईं, उस समय उन्होंने बांग्लादेश के लोगों को याद दिलाया कि कैसे भारत की सरकार, जनता और सेना ने 1971 के युद्ध में बांग्लादेश की मदद की थी.
  • दिल्ली के साथ उनकी बढ़ती करीबी और भारत द्वारा उन्हें समर्थन दिए जाने की बांग्लादेश की विपक्षी पार्टियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं  ने हमेशा आलोचना की है. उनका कहना है कि भारत को बांग्लादेश की जनता का समर्थन करना चाहिए ना कि किसी विशेष पार्टी का.