Puri News: ओडिशा के पुरी का जगन्नाथ मंदिर इन दिनों चर्चा में बना हुआ है. दरअसल, 40 साल बाद एक बार फिर से इस मंदिर का रत्न भंडार खुलने जा रहा है. साल 2018 में मंदिर के रत्न भंडार को खोलने की कोशिश की गई थी लेकिन उस दिन जिला कलेक्टर रत्न भंडार की चाबियां पेश नहीं कर पाए. चाबियां गायब होने से पूरे राज्य में आक्रोश फैल गया था.
चुनाव में जमकर भुनाया था मुद्दा
विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इस मुद्दे को जमकर उठाया था और पटनायक की बीजेडी सरकार पर इस मुद्दे को ठीक से ना संभालने का आरोप लगाया था और इसमें गड़बड़ी का संदेह जताया था. भाजपा ने कहा था कि सत्ता में आने पर वह भगवान जगन्नाथ के चाहने वालों का भरोसा कायम करने के लिए मंदिर के रत्न भंडार को खोलेगी चाहे चाबी मिलें या ना मिलें और इसकी सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगी.
अब 40 साल बाद खुलने जा रहा रत्न भंडार
आखिरी बार रत्न भंडार को 39 साल पहले 14 जुलाई 1985 को खोला गया था. अब राज्य सरकार इसी 14 जुलाई को फिर से इस रत्न भंडार को खोलने जा रही है.
रत्न भंडार में क्या-क्या
ओडिशा रिव्यू पत्रिका के 2022 के एक लेख में बताया गया है कि जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में भगवान जनन्नाथ और पुरी के राजाओं को दान और उपहार में दिए गए 'दुर्लभतम आभूषण' रत्न भंडार के बाहरी और भीतरी कक्षों में रखे हुए हैं. इस भंडार में आम तौर पर वो रत्न रखे जाते थे जिनका इस्तेमाल नियमित तौर पर देवताओं के लिए इस्तेमाल नहीं होता था.
सुसांत कुमार दाश और भास्कर मिश्रा के एक लेख के मुताबिक, रत्न भंडार में 180 प्रकार के आभूषण उपलब्ध हैं, जिनमें 74 प्रकार के सोने के आभूषण शामिल हैं. इनमें से कुछ आभूषणों का वजन तो 100 तोले से भी अधिक है.
इन आभूषणों में हीरे, माणिक, नीलम, पन्ना, मोती और कई अन्य दुर्लभ रत्नों के अलावा सैकड़ों सोने, चांदी के आभूषण और जवाहरात भी हैं.
क्या बोले मंदिर के पूर्व प्रशासक
मंदिर के पूर्व प्रशासक रबिंद्र नारायण मिश्रा के मुताबिक रत्न भंडार में रेजा सोना और चांदी के आभूषण भी हैं. मिश्रा ने कहा कि 1985 में उन्हें भी रत्न भंडार में जाने का अवसर मिला था. उन्होंने कहा ऐसा कोई आभूषण नहीं था जो वहां न हो.
उन्होंने कहा कि वहां लकड़ी के कम से कम 15 बक्से रखे थे जिनमें सोने, चांदी, हीरे, नीलम, मोती, माणिक और अन्य दुर्लभ रत्नों से बनी वस्तुएं सुरक्षित रूप से रखी गई थीं. उन्होंने बताया कि रत्न भंडार का भीतरा भंडार बाहरी हिस्से से बहुत बड़ा है जिसे कभी कभार ही खोला जाता है.
मिश्रा ने बताया कि वहां रहा प्रत्येक संदूक 9 फीट लंबा और 3 फीट ऊंचा था. रवींद्र मिश्रा ने खुलासा किया कि उन्हें कक्ष के अंदर कोई सांप और मकड़ी के जाले नहीं दिखे थे. उन्होंने याद करते हुए कहा कि उन्होंने रत्न भंडार में एक सिंहासन देखा था जो इतना बड़ा था कि उस पर हनुमान, सुग्रीव, नल, नील और जामवंत सहित वैष्णव पंथ के सभी देवता बैठ सकते थे. उन्होंने कहा कि उस दौरान इसे डबल लॉक करके मंदिर की प्रबंध समिति की मुहर से सील कर दिया गया था और अब सबको इसके दोबारा से खुलने का इंतजार है.