Jaipur News: भारत की शिक्षा नीति में इतनी कमियां हैं कि यहां आए दिन शिक्षा के क्षेत्र में नए नए घोटाले और घपले देखने को मिलते हैं. नीट और नेट पेपर लीक बवाल के बाद अब जयपुर के एक विश्वविद्यालय द्वारा कथित तौर पर फर्जी डिग्री जारी करने का मामला सामने आया है. चूरू की ओम प्रकाश जोगिंदर यूनिवर्सिटी (OPJS) राजस्थान पुलिस की रडार पर आ गई है. यूनिवर्सिटी पर ऐसे कोर्सेज की फर्जी और पिछली तारीख से डिग्री जारी करने का आरोप लगा है जिन कोर्सों को कराने की यूनिवर्सिटी को मान्यता ही प्राप्त नहीं थी.
OPJS ने अब तक जारी कीं 43,409 डिग्रियां
राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) यूनिवर्सिटी द्वारा उसकी स्थापना (2013) से अब तक जारी की गई सभी 43,409 डिग्रियों की जांच कर रही है. इस जांच के साथ ही इन 43,409 डिग्री धारकों का भविष्य खतरे में पड़ गया है. SOG के सूत्रों के मुताबिक, यूनिवर्सिटी ने मान्यता मिलने से पहले ही पिछली तारीख से BEd और BPEd (शारीरिक शिक्षा) कार्यक्रमों की डिग्रियां जारी कर दीं, साथ ही यूनिवर्सिटी ने उचित प्राधिकरण के बिना छात्रों को MSc कृषि विज्ञान की डिग्रियां जारी कीं.
यूनिवर्सिटी के संस्थापक और मालिक जोगिंदर सिंह दलाल की गिरफ्तारी के 6 दिन बाद इस मामले की जांच शुरू की गई. दलाल का कथित तौर पर इस घोटाले में हाथ बताया जा रहा है. एसओजी कॉलेज के एंट्रेंस एग्जाम में पेपर लीक और गड़बड़ी की जांच कर रही थी. इसी जांच के दौरान दलाल पुलिस की रडार पर आ गया.
यूनिवर्सिटी ने बैकडेट से जारी किए सर्टिफिकेट
यूनिवर्सिटी के खिलाफ कई छात्रों ने शिकायत की थी, जिसके बाद पुलिस ने मामले का संज्ञान लिया. एसओजी ने 5 जून को दलाल को गिरफ्तार किया. दलाल के साथ-साथ पुलिस ने पूर्व चेयरपर्सन सरिता करवासरा और पूर्व रजिस्ट्रार जीतेंद्र यादव को भी गिरफ्तार किया है.
प्रारंभिक जांच में क्या पता चला
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि दलाल ने वीजा आवेदन के लिए स्नातक की डिग्री की मांग करने वाले छात्रों को बैकडेट से डिग्री जारी कीं. ADGP (SOG) वीके सिंह ने कहा, 'हमें जानकारी मिली थी कि यूनिवर्सिटी ने कुछ कोर्सों की मान्यता मिलने से पहले ही बैकडेट से उन कोर्सों की डिग्रियां छात्रों को जारी कर दीं. इस फर्जी डिग्री घोटाले की विस्तृत जांच शुरू की गई है.'
अब तक किस-किस कोर्सों में जारी की डिग्रियां
एसओजी के डीआईजी पारिस देशमुख ने कहा कि 2013 से यूनिवर्सिटी ने 708 पीएचडी, 8,861 इंजीनियरिंग डिग्री, 1,640 (शारीरिक शिक्षा) की डिग्रियां प्रदान की हैं.
पुलिस बोली- अनियमितता के पुख्ता सबूत
देशमुख ने कहा कि हमारे पर साल 2022 में PTI की भर्ती के लिए हुई परीक्षा में अनियमितता को लेकर पर्याप्त सबूत हैं. उन्होंने कहा कि 1,300 छात्रों ने यूनिवर्सिटी से इस कोर्स को करने का दावा किया. जबकि यूनिवर्सिटी को साल 2016 से इस कोर्स के लिए केवल 100 सीटों को भरने की अनुमति थी. केवल 2020 से पहले नामांकित हुए छात्र ही 2022 के पीटीआई एग्जाम के लिए पात्र थे.
इतने कम कर्मचारियों के साथ यूनिवर्सिटी चलाना संभव नहीं
देशमुख ने कहा कि यूनिवर्सिटी में केवल 30 कर्मचारी थे जिसमें 8 से 9 कर्मचारी चतुर्थ श्रेणी के थे. इतने सीमित कर्मचारियों के साथ एक यूनिवर्सिटी को चलाना संभव नहीं है. सूत्रों के मुताबिक, संभागीय आयुक्त ने यूनिवर्सिटी की परीक्षा प्रक्रिया को लेकर भी सवाल किए थे और पुराने रिकॉर्ड मांगे थे जिसको लेकर दलाल ने दावा किया है दस्तावेज 2019 में लगी आग में जलकर नष्ट हो गये.
शिक्षा विभाग कर सकता है कार्रवाई
अधिकारी ने कहा कि शिक्षा विभाग को इस मामले की जानकारी दे दी गई है और उसे यूनिवर्सिटी के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है.
OPJS में नए एडमिशन पर लगी रोक
बता दें कि 24 जून को राजस्थान के उच्च शिक्षा विभाग ने यूनिवर्सिटी को नए एडमीशन करने पर रोक लगा दी थी. इससे पहले यूजीसी ने पिछले साल दिसंबर में OPJS को पीएचडी कार्यक्रमों के लिए स्कॉलर्स नामांकन करने पर रोक लगा दी थी.