कोलकाता: पश्चिम बंगाल में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान बूथ स्तरीय अधिकारियों (BLOs) ने सोमवार को काम के कथित अत्यधिक दबाव को लेकर बड़ा विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान BLOs ने कोलकाता स्थित मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) कार्यालय में जबरन घुसने का प्रयास किया, जिसके चलते उनकी पुलिस से हाथापाई हो गई. एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है.
बीएलओ अधिकार रक्षा समिति की अगुवाई में सैकड़ों BLOs ने कॉलेज स्क्वायर से जुलूस निकाला. उन्होंने ताले और बेड़ियां लेकर प्रतीकात्मक रूप से CEO कार्यालय के मुख्य द्वार को बंद करने का संदेश दिया. शाम तक माहौल तब और गर्म हो गया जब चार BLOs और छह शिक्षा/राज्यकर्मी मिलाकर दस सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल अपनी शिकायतें दर्ज कराने CEO मनोज अग्रवाल के दफ्तर पहुंचा. CEO की अनुपस्थिति में, उनके अधीनस्थ अधिकारी ने प्रतिनिधिमंडल से ज्ञापन स्वीकार किया.
#WATCH | Kolkata | Booth Level Officers (BLOs) engaged in SIR exercise in West Bengal protest in front of the office of the Chief Electoral Officer over alleged heavy workload and the death of a BLO pic.twitter.com/rnDUHwcjgj
— ANI (@ANI) November 24, 2025Also Read
प्रतिनिधिमंडल के लौटते ही एक BLO ने आरोप लगाया कि रैली में भाग लेने के कारण उसे धमकी भरा संदेश मिला है. इसी के बाद सभी सदस्यों ने अचानक कार्यालय के भीतर धरना शुरू कर दिया. स्थिति बिगड़ते देख पुलिस और सुरक्षा कर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को उठाकर परिसर से बाहर कर दिया. इससे पहले प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड तोड़कर कार्यालय में घुसने का प्रयास भी किया था.
प्रदर्शनकारी BLOs का आरोप है कि SIR प्रक्रिया के दौरान उन पर अत्यधिक, अप्राकृतिक और अमानवीय कार्यभार थोप दिया गया है और आयोग ने उनकी शिकायतों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. समिति के एक सदस्य ने कहा कि जिस काम में आमतौर पर दो साल लगते हैं, उसे एक महीने में पूरा करने का निर्देश दिया गया है. समिति ने यह भी दावा किया कि दबाव के कारण कई BLO बीमार पड़ रहे हैं और दो ने तनाव में आत्महत्या तक कर ली.
SIR प्रक्रिया के तहत घर-घर जाकर सत्यापन कार्य 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक चल रहा है. मसौदा मतदाता सूची 9 दिसंबर को जारी की जानी है. यदि समयसीमा नहीं बढ़ाई गई, तो समिति ने लगातार विरोध की चेतावनी दी है. एक अन्य संगठन, BLO ओइक्या मंच, ने डेटा डिजिटलीकरण से संबंधित समस्याओं को उठाया और अतिरिक्त सहायक कर्मचारियों की मांग की.
निर्वाचन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि BLO संगठनों की सभी मांगें प्राप्त हो चुकी हैं, पर आंदोलन पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है. इधर, TMC सांसद साकेत गोखले ने X पर कहा कि यदि निर्वाचन आयोग स्वतंत्र है, तो उसे BLOs की सुरक्षा और SIR प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि 30 दिनों में इस विशाल प्रक्रिया को पूरा करने की जल्दबाजी BLOs पर अत्याचार जैसा है.