सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई स्थगित कर दी. इस मामले पर अब 15 मई को सुनवाई होगी. पीठ ने कहा कि उसने इस मुद्दे पर सरकार के हलफनामे की अभी तक पूरी तरह से जांच नहीं की है.
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि विवादास्पद वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी. गवई 14 मई को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालेंगे. मामले की सुनवाई 15 मई तक के लिए स्थगित कर दी गई है. सीजेआई संजीव खन्ना ने यह फैसला सुनाया और कहा कि अंतरिम आदेश पारित करने से पहले मामले की लंबी सुनवाई की आवश्यकता होगी. सीजेआई खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं.
मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि मैं अंतरिम चरण में भी कोई निर्णय या आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहता. इस मामले की सुनवाई किसी भी उचित दिन पर होनी चाहिए. यह मेरे समक्ष नहीं होगा. हम इसे गुरुवार को न्यायमूर्ति (बीआर) गवई की पीठ के समक्ष रखेंगे. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें खुशी होगी कि सीजेआई खन्ना इस मामले को आगे बढ़ाएं. याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे अभिषेक सिंघवी ने कहा, "न्यायमूर्ति ने हमसे छुटकारा पाने का एक त्वरित तरीका ढूंढ लिया."
केंद्र ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को पिछले महीने अधिसूचित किया था, जब इसे 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिली थी. इस विधेयक को लोकसभा ने 288 सदस्यों के समर्थन से पारित किया था, जबकि 232 सांसद इसके खिलाफ थे. राज्यसभा में बिल के पक्ष में 128 वोट पड़े और इसके खिलाफ 95 सदस्यों ने मतदान किया. कई राजनीतिक दलों ने अधिनियम की वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.