भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव बाकी चुनावों से बिल्कुल अलग प्रक्रिया के जरिए होता है. इसमें वोटों की वैल्यू समान होती है, लेकिन प्राथमिकता अंकित करने का नियम इसे खास बनाता है. जरा सी गलती से वोट अमान्य हो सकता है, यही वजह है कि राजनीतिक दल अपने सांसदों को किसी भी तरह की चूक से बचाने के लिए पहले से तैयार कर रहे हैं.
भाजपा ने अपने सांसदों को मतदान प्रक्रिया की बारीकियों से अवगत कराने के लिए तीन दिन की विशेष कार्यशाला शुरू की है, जिसमें पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए. इस कार्यशाला का मकसद खास तौर पर नए सांसदों को यह सिखाना है कि बैलेट पेपर पर सही तरीके से प्राथमिकता कैसे दर्ज की जाए. दूसरी ओर, कांग्रेस ने विपक्षी सांसदों के लिए सोमवार को मॉक पोल कराया ताकि वे वोटिंग की तकनीकी प्रक्रिया को समझ सकें. दोनों ही दल इस कोशिश में हैं कि एक भी वोट अमान्य न हो.
उपराष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचन आयोग विशेष गुलाबी रंग के बैलेट पेपर का इस्तेमाल करता है. इनमें दो कॉलम होते हैं, पहले में उम्मीदवारों के नाम और दूसरे में मतदाता द्वारा दी जाने वाली प्राथमिकता. पहली प्राथमिकता अंकित करना अनिवार्य है, जबकि बाकी प्राथमिकताएं वैकल्पिक होती हैं. वोटर चाहे तो संख्या को भारतीय अंकों, रोमन अंकों या किसी भारतीय भाषा के अंकों में दर्ज कर सकता है, लेकिन शब्दों में जैसे 'वन', 'टू' या 'फर्स्ट प्रेफरेंस' नहीं लिख सकता.
संसद के सेंट्रल हॉल में विपक्षी दल के सांसदों की महत्वपूर्ण बैठक हुई।
— Congress (@INCIndia) September 8, 2025
📍 दिल्ली pic.twitter.com/Jq2WfrRmxp
पार्लियामेंट और विधानसभा चुनावों के विपरीत, उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट डालते समय कोई सांसद किसी साथी की मदद नहीं ले सकता. केवल प्रेजाइडिंग ऑफिसर से ही सीमित सहायता मिल सकती है. ऐसे में ट्रेनिंग जरूरी हो जाती है ताकि पहली प्राथमिकता अंकित करने में कोई गलती न हो. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल जानते हैं कि यदि सांसदों से वोटिंग में गड़बड़ी हुई तो नतीजों पर असर पड़ सकता है.
निर्वाचन अधिकारी बैलेट पेपर को अमान्य कर सकता है, अगर पहली प्राथमिकता अंकित नहीं की गई हो, या एक से ज्यादा उम्मीदवारों को पहली प्राथमिकता दे दी गई हो. इसी तरह यदि बैलेट पर ऐसा कोई निशान हो जिससे मतदाता की पहचान उजागर होती हो, तो भी वोट निरस्त हो सकता है. 2022 में जगदीप धनखड़ के चुनाव के दौरान 15 वोट अमान्य घोषित किए गए थे. 2017 में वेंकैया नायडू के चुनाव में 11 वोट अमान्य हुए थे. इन उदाहरणों ने इस बार पार्टियों को और सतर्क कर दिया है.
इस बार केवल दो उम्मीदवार मैदान में हैं, एनडीए के सीपी राधाकृष्णन और विपक्ष के सुदर्शन रेड्डी. ऐसे में हर वैध वोट का सीधा असर नतीजे पर पड़ेगा. यही वजह है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों अपने सांसदों को गाइड करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते.
यह भी साफ है कि गलती से अमान्य हुए वोट न केवल सांसद की लापरवाही को उजागर करेंगे बल्कि पार्टी की साख पर भी सवाल खड़ा करेंगे. यही कारण है कि इस बार दोनों पक्ष यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि 9 सितंबर को गुलाबी बैलेट पेपर पर दर्ज हर निशान पूरी तरह वैध हो.