Uttarakhand Tunnel Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिल्कयारा सुरंग को आज देश ही नहीं, दुनियाभर में लोग जानने लगे हैं. यहां 17 दिनों से फंसी 41 जिंदगियों को बेहद सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सुरक्षित निकाला गया है. रेस्क्यू ऑपरेशन में कई बार ऐसे हालात बने, जिन्हें देखकर लगा कि शायद मायूसी मिलेगी, लेकिन बचाव कार्य के योद्धाओं ने हार नहीं मानी और आखिरकार मौत को मौत दे डाली.
टनल से बाहर आए मजदूरों के चेहरों की खुशी देखकर तो यही लगता है. स्थानीय लोगों में चर्चा है कि बौख नाग देवता की स्थापना के बाद राहत का रास्ता खुला, क्योंकि मशीनों के नाकाम होने के बाद रेस्क्यू एक्सपर्ट का कहना था कि अब मजदूरों को बाहर निकालने में शायद एक महीने का वक्त लगे. इसके बाद पालकी में बैठाकर बाबा बौख नाग देवता को यहां लगाया गया था.
Bharat breathes a sigh of relief as the #Silkyara Tunnel rescue operation concludes successfully with the rescue of 41 workers. For the last 17 days, the entire nation was united in praying for their safe return, who displayed remarkable resilience and courage.
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) November 28, 2023
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उत्तराखंड के उत्तरकाशी में चार धाम प्रोजेक्ट के तहत सिल्कयारा सुरंग का निर्माण कराया जा रहा है. 11 नवंबर तक सब कुछ सही था. लेकिन 12 नवंबर का दिन मनहूस हो गया. सुरंग में अचानक मलबा आने से 41 मजदूर अंदर फंस गए. ये मजदूर पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड समेत कई राज्यों के हैं. जैसे ही ये बात अधिकारियों को पता चली वैसे ही हड़कंप मच गया.
आनन-फानन में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. शुरुआती दौर में स्थानीय राहत बचाव दल ने अपनी ओर से कोशिश की. जब सफलता नहीं मिली तो केंद्रीय एजेंसियों को मामले की जानकारी दी गई. इसके बाद एनडीआरएफ की टीमों को बुलाया गया.
टनल में आए मलबे के दूसरी ओर फंसे मजदूरों को निकालने के लिए मशीनें लगाई गईं, लेकिन मशीनों के ब्लेड टूट गए. फिर भारतीय सेना के जवानों के अलावा विदेश से रेस्क्यू एक्सपर्ट की टीम को बुलाया गया. सभी ने अपने-अपने स्तर पर कोशिश की, लेकिन कोई खास सफलता नहीं मिली.
उधर, एक-एक दिन बढ़ता जा रहा था. अंदर फंसे मजदूर और बाहर बैठे उनके परिवार वालों की सांसें भी अब गहरी होती जा रही थी. एक्सपर्ट्स ने कहा कि अब मजदूरों को बाहर निकालने में एक महीने का समय लगेगा. इसके साथ ही देशभर में दुआओं का दौर शुरू हो गया. हर कोई अपने हिसाब से मजदूरों की सलामती के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने लगा.
इसी बीच दो ऐसे काम हुए, जिन्होंने पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन की दशा और दिशा ही बदलकर रख दी. पहला काम टनल के गेट के पास बौख नाग देवता की स्थापना और पूजा था. स्थानीय लोगों का प्रबल दावा है कि देवता की स्थापना और पूजा के बाद राहत का रास्ता अपने आप खुल गया.
न्यूज एजेंसी एएनआई की ओर से जारी एक वीडियो देखा गया था कि विदेशी रेस्क्यू एक्सपर्ट भी पूजा कर रहे थे. इसके बाद दूसरा काम था रेस्क्यू टीम में रैट होल माइनर्स का शामिल होना. उन्होंने वो काम कर दिया जो मशीनें भी नहीं कर पाईं. उन्होंने पहाड़ का सीना चीरकर 41 मजदूरों को बाहर निकालने का रास्ता बना डाला.