अचानक क्यों लिया गया ये फैसला? आखिरी वक्त पर टला ठाकरे बंधु के गठबंधन का ऐलान
बीएमसी चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच सीट बंटवारे पर सहमति बन गई थी लेकिन फिर अचानक आज होने वाली प्रेस कॉफ्रेंस टल गई.
मुंबई: BMC चुनाव से पहले महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के बीच सीट शेयरिंग को लेकर सहमति बन गई थी. सूत्रों के मुताबिक दोनों दलों के बीच बातचीत का अंतिम दौर पूरा हो चुका था और आज इस गठबंधन का आधिकारिक ऐलान किया जाना था लेकिन अचानक इस फैसले को टाल दिया गया है.
जानकारी के अनुसार बीएमसी की कुल 227 सीटों में से शिवसेना यूबीटी 150 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं एमएनएस को 60 से 70 सीटें मिलने की संभावना है. बची हुई सीटें एनसीपी शरदचंद्र पवार गुट और अन्य छोटे सहयोगी दलों को दी जा सकती हैं. इस समझौते का मकसद वोटों के बंटवारे को रोकना और सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन को सीधी चुनौती देना था.
संजय राउत की क्या रही भूमिका?
सूत्र बताते हैं कि इस गठबंधन को अंतिम रूप देने में शिवसेना यूबीटी के सांसद संजय राउत की अहम भूमिका रही है. संजय राउत ने राज ठाकरे से मुलाकात कर विवादित 10 से 12 सीटों पर सहमति बनाई. इसके बाद मनसे के वरिष्ठ नेता नितिन सरदेसाई और बाला नांदगांवकर 'मातोश्री' पहुंचे और उद्धव ठाकरे से बातचीत की. इसी बैठक में सीट बंटवारे को लेकर लगभग अंतिम सहमति बन गई.
विपक्षी खेमे की क्या है योजना?
इस बीच संजय राउत राहुल गांधी के संपर्क में भी हैं ताकि कांग्रेस को महा विकास आघाड़ी में बनाए रखा जा सके. एनसीपी शरद पवार गुट भी विपक्षी दलों को एकजुट रखने के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहा है. विपक्षी खेमे का मानना है कि सभी दल अगर एकजुट रहते हैं तो महायुति को मुंबई में कड़ी चुनौती दी जा सकती है.
यूबीटी और मनसे के गठबंधन का कैसे होगा ऐलान?
बताया जा रहा है कि शिवसेना यूबीटी और मनसे के गठबंधन का ऐलान वर्ली स्थित एनएससीआई डोम में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए किया जा सकता है. इसे शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है. इससे दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ेगा और राजनीतिक विरोधियों को भी मजबूत संदेश जाएगा.
सीटों को लेकर क्या हो रही चर्चा?
हालांकि कुछ सीटों को लेकर अब भी चर्चा चल रही है, लेकिन मूल समझौता तय माना जा रहा है. कांग्रेस के मनसे से वैचारिक मतभेद बने हुए हैं और वह अकेले चुनाव लड़ने का मन बना रही है. इसके बावजूद उद्धव गुट को भरोसा है कि उसकी मराठी मुस्लिम रणनीति मुंबई की राजनीति में बड़ा असर डाल सकती है.
उधर बीजेपी और शिंदे गुट की शिवसेना के बीच भी सीट बंटवारे को लेकर बैठकों का दौर जारी है और जल्द ही वहां भी तस्वीर साफ होने की उम्मीद है.