भारत और अमेरिका के बीच अंतरिम व्यापार समझौते की घोषणा 8 जुलाई तक हो सकती है. सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्षों ने समझौते की सभी शर्तों पर सहमति बन गई है. भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार और वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने वाशिंगटन में इस समझौते को अंतिम रूप देने के लिए गहन चर्चा की है.
यह समझौता ऐसे समय में सामने आ रहा है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा विश्व भर के देशों पर पारस्परिक शुल्क (रेसिप्रोकल टैरिफ) लगाने की समय सीमा 9 जुलाई को समाप्त हो रही है. शुक्रवार को ट्रम्प ने टैरिफ समय सीमा के बारे में "जो हम चाहते हैं" टिप्पणी करने के बाद फॉक्स न्यूज से कहा कि उनकी सरकार इस समय सीमा को बढ़ाने की संभावना नहीं रखती.
इस अंतरिम व्यापार समझौते को दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने और आपसी व्यापार घाटे को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. भारत और अमेरिका ने इस साल फरवरी में द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) को अंतिम रूप देने और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 191 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा था.
सूत्रों के मुताबिक, यह अंतरिम समझौता औद्योगिक वस्तुओं, कुछ कृषि उत्पादों और गैर-शुल्क बाधाओं जैसे गुणवत्ता नियंत्रण मानकों को आसान करने पर केंद्रित है. भारत ने अपनी श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे कपड़ा, चमड़ा, रत्न और आभूषण, और प्लास्टिक जैसे क्षेत्रों में शुल्क रियायतों की मांग की है, जबकि अमेरिका ने औद्योगिक सामान, इलेक्ट्रिक वाहनों, डेयरी, और कुछ कृषि उत्पादों पर शुल्क में कटौती की मांग की है.
भारत ने अमेरिका से 2 अप्रैल को लगाए गए 26 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क और 10 प्रतिशत आधारभूत शुल्क से पूर्ण छूट की मांग की है, जो 9 जुलाई तक निलंबित है. इस समझौते के साथ, भारत को उम्मीद है कि ये शुल्क पूरी तरह हटाए जा सकते हैं, जिससे चावल, झींगा, कपड़ा और जूते जैसे भारतीय निर्यातों को अमेरिकी बाजार में बढ़ावा मिलेगा.
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा था कि भारत और अमेरिका एक निष्पक्ष और संतुलित व्यापार समझौते की दिशा में काम कर रहे हैं, जो दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए लाभकारी होगा. उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य आपसी हितों को ध्यान में रखते हुए व्यापार को बढ़ावा देना और दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करना है.