नई दिल्ली: नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता में सुरक्षाबलों ने देश के सबसे कुख्यात और वांछित माओवादी कमांडरों में शामिल मदवि हिडमा को मुठभेड़ में ढेर कर दिया है.
आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमाओं से लगे घने जंगलों में मंगलवार सुबह हुए इस अभियान में कुल छह नक्सलियों के शव बरामद किए गए हैं. हिडमा की पत्नी राजक्का भी मुठभेड़ में मारी गई. हिडमा पर कई बड़े हमलों की साजिश रचने का आरोप था और उस पर 50 लाख रुपये का इनाम घोषित था.
सुरक्षाबलों ने मंगलवार सुबह करीब 6 बजे मारुद पल्लि के घने जंगलों में कॉम्बिंग ऑपरेशन शुरू किया. यह क्षेत्र आंध्र प्रदेश–छत्तीसगढ़–तेलंगाना के त्रि-जंक्शन के पास स्थित है, जहां नक्सलियों की सक्रियता लंबे समय से बनी हुई है. विश्वसनीय खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर अभियान चलाया गया. सुरक्षाबलों की मौजूदगी का अंदेशा होते ही नक्सलियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद जवानों ने जवाबी फायरिंग की.
लंबे समय तक चली फायरिंग के बाद सुरक्षाबलों को इलाके की तलाशी में छह नक्सलियों के शव मिले. इनमें टॉप कमांडर मदवि हिडमा और उसकी पत्नी रजे उर्फ राजक्का की पहचान की गई. हिडमा जिस दल का नेतृत्व करता था, वह दंडकारण्य क्षेत्र में सबसे हिंसक और रणनीतिक रूप से मजबूत माना जाता था. इस मुठभेड़ को सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी बताया जा रहा है.
1981 में छत्तीसगढ़ के सुकमा में जन्मा हिडमा सीपीआई (माओवादी) में प्लाटून–1 का प्रमुख था. उस पर कम से कम 26 बड़े हमलों की साजिश रचने का आरोप था, जिनमें ताड़मेटला, झीरम घाटी और बुरकापाल जैसे हमले शामिल हैं. हिडमा काफी समय से सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर था, लेकिन घने जंगलों और सुरक्षात्मक नेटवर्क के कारण वह पकड़ से बचता रहा. उसकी गतिविधियों के कारण केंद्र और राज्य सरकारों ने संयुक्त रूप से उसे खत्म करने के लिए कई अभियान चलाए थे.
मुठभेड़ से पहले सुरक्षा एजेंसियों को पुख्ता जानकारी मिली थी कि हिडमा और उसके साथी इलाके में कैंप कर रहे हैं. इसके बाद सुरक्षाबलों ने संयुक्त रणनीति के तहत इलाके को चारों ओर से घेरा. अभियान में ग्रेहाउंड और स्थानीय पुलिस बलों की विशेष टीमों ने हिस्सा लिया. सुरक्षाबलों का कहना है कि क्षेत्र में अभी भी कुछ नक्सलियों के छिपे होने की आशंका है, इसलिए सर्च ऑपरेशन जारी है.
सुकमा और आसपास के जिले नक्सल प्रभाव वाले क्षेत्रों में शामिल हैं, जहां सुरक्षा एजेंसियों का लगातार दबाव बना हुआ है. हिडमा के मारे जाने के बाद सुरक्षा एजेंसियां इसे नक्सल संगठन के लिए बड़ा मनोवैज्ञानिक झटका मान रही हैं. अफसरों के मुताबिक, इस ऑपरेशन के बाद दंडकारण्य क्षेत्र में नक्सलियों की ताकत और मनोबल पर गंभीर असर पड़ेगा और आगे के अभियानों को गति मिलेगी.