Muslim Population in Mumbai: महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव के बीच टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की एक रिपोर्ट ने राज्य में व्यापक बहस छेड़ दी है. रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे शहर का सामाजिक और आर्थिक ढांचा प्रभावित हो सकता है. इसके मुताबिक, 2051 तक मुंबई में हिंदू आबादी घटकर 51 प्रतिशत तक हो सकती है. इससे शहर की जनसंख्या संरचना में एक बड़ा बदलाव दर्शाती है.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कुछ राजनीतिक दलों द्वारा अवैध प्रवासियों का उपयोग वोट बैंक को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है. अवैध प्रवासी नकली वोटर आईडी कार्ड भी बनवा रहे हैं, जिससे चुनाव प्रक्रिया प्रभावित हो रही है. इसके चलते बीजेपी का कहना है कि महाविकास अघाड़ी गठबंधन इस स्थिति को नजरअंदाज कर रहा है और इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपना सकती है.
टाटा इंस्टीट्यूट की इस रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में अवैध प्रवासियों की संख्या पिछले कुछ दशकों में बढ़ी है, जिसका प्रभाव शहर की जनसंख्या संरचना पर पड़ा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 1961 में मुंबई की हिंदू आबादी 88 प्रतिशत थी, जो 2011 में घटकर 66 प्रतिशत रह गई. इसी अवधि में मुस्लिम आबादी में वृद्धि दर्ज की गई, जो 1961 में 8 प्रतिशत से बढ़कर 2011 में 21 प्रतिशत हो गई. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2051 तक हिंदू आबादी में 54 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है, जबकि मुस्लिम जनसंख्या 30 प्रतिशत तक बढ़ सकती है.
रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में अवैध झुग्गियों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है, जिससे सरकारी संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है. शहर के कुछ इलाकों में पानी की कमी और महिला तस्करी के मामलों में भी वृद्धि देखने को मिल रही है. अवैध प्रवासियों की बाढ़ से शहर के कई हिस्सों में बुनियादी सुविधाएं गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं, जिससे निवासियों के लिए समस्याएं बढ़ रही हैं.
रिपोर्ट के प्रकाश में आने के बाद राजनीतिक दलों के बीच मतभेद खुलकर सामने आए हैं. एनसीपी के शरद पवार गुट ने इस रिपोर्ट को बीजेपी और आरएसएस की रिपोर्ट बताया, जबकि बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने इसे टाटा की एक प्रामाणिक रिपोर्ट करार दिया. उनका आरोप है कि अवैध प्रवासियों के समर्थन में बोगस एनजीओ और नकली दस्तावेजों का सहारा लिया जा रहा है.
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही इस रिपोर्ट ने एक बड़ी बहस को जन्म दिया है. राज्य में अवैध प्रवासियों के बढ़ते प्रभाव और जनसंख्या संरचना में बदलाव को लेकर यह सवाल उठ रहा है कि क्या भविष्य में माया नगरी मुंबई का स्वरूप बदल सकता है.