भारतीय संविधान का पहला संस्करण, जिसे एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज माना जाता है, 48 लाख रुपये में नीलाम हुआ. 1950 में प्रकाशित इस पुस्तक में इसके प्रारूपकारों के हस्ताक्षर, प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा द्वारा सुलेख और नंदलाल बोस द्वारा चित्रण शामिल हैं. सैफरनआर्ट द्वारा की गई इस नीलामी में भारत की विरासत से जुड़ी महत्वपूर्ण वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया, जिससे संविधान एक प्रमुख आकर्षण बन गया.
भारत के संविधान का पहला संस्करण ऐतिहासिक दस्तावेज है. हाल में ही एक नीलामी में भारत के संविधान के प्रथम संस्करण 48 लाख रुपये में बिकी. यह दुर्लभ पुस्तक, देहरादून स्थित भारतीय सर्वेक्षण विभाग के कार्यालयों द्वारा निर्मित तथा 1950 में केंद्र द्वारा प्रकाशित मात्र 1,000 प्रतियों में से एक है. इसमें संविधान के निर्माताओं के पेंटेड हस्ताक्षर हैं.
बी.आर. अंबेडकर के साथ-साथ प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा सुलेखन तथा प्रख्यात आधुनिक कलाकार नंदलाल बोस द्वारा चित्रकारी भी शामिल है. यह फोटोलिथोग्राफिक प्रति जिसका खाका भारत की संसद के पुस्तकालय में एक विशेष हीलियम से भरे केस में रखा गया है. सैफरनआर्ट की 24 से 26 जुलाई तक की तीन दिवसीय ऑनलाइन नीलामी का हिस्सा थी, जिसमें भारतीय इतिहास, कला, साहित्य तथा फोटोग्राफी की सदियों पुरानी वस्तुएं नीलामी में शामिल की गईं.
सैफरनआर्ट की सह-संस्थापक मीनल वजीरानी ने कहा, उनके सौंदर्य के अलावा, प्रत्येक भाग भारत की विरासत के दस्तावेज के रूप में बहुत अधिक ऐतिहासिक महत्व रखता है. अंबेडकर द्वारा तैयार संविधान के ब्लूप्रिंट पर 1946 की संविधान सभा के 284 सदस्यों के हाथ के निशान हैं, जिनमें लेखिका कमला चौधरी के हिंदी हस्ताक्षर और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के अंग्रेजी हस्ताक्षर शामिल हैं.
नवंबर 1949 से अप्रैल 1950 तक, रामपुर के सुलेखक रायजादा को देश को नियंत्रित करने वाले कोड लिखने में छह महीने लगे. उन्हें इस काम के लिए 4,000 रुपये का पुरस्कार दिया गया था. बाद में नंदलाल बोस और शांतिनिकेतन के कला भवन के अन्य कलाकारों ने शीटों को सजाया और रोशन किया. यह नेहरू के सुझाव को ध्यान में रखते हुए किया गया था. भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है.
बता दें कि भारतीय संविधान की पहली कॉपी उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में छपी थी. उस समय देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया की प्रेस में यह पहली कॉपी छापी गई थी. इस दौरान संविधान की 1000 प्रतियां छापी गई थीं. आज भी शहर के सर्वे ऑफ इंडिया के म्यूजियम में संविधान की यह पहली कॉपी सुरक्षित रखी हुई है.