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दिल्ली ब्लास्ट का टेलीग्राम कनेक्शन! आखिर कैसे एक मैसेजिंग ऐप बना आतंकियों के लिए साजिश रचने का अड्डा?

टेलीग्राम की प्राइवेसी नीति ने जहां यूजर्स को सुरक्षा दी है, वहीं आतंकी संगठनों को इसका दुरुपयोग करने का मौका भी मिला. ISIS, अल-कायदा और हमास जैसे संगठन इसका इस्तेमाल प्रचार और भर्ती के लिए कर रहे हैं.

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Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: social media

टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया के इस युग में टेलीग्राम जैसी मैसेजिंग ऐप्स ने जहां संवाद को आसान बनाया है, वहीं आतंकवादियों के लिए यह एक छिपने की जगह भी बन गई है. 

टेलीग्राम की सख्त प्राइवेसी पॉलिसी और सीमित निगरानी ने उसे उन चरमपंथी संगठनों के लिए पसंदीदा प्लेटफॉर्म बना दिया है, जो प्रचार, भर्ती, फंडिंग और हिंसा फैलाने के लिए डिजिटल माध्यम का दुरुपयोग करते हैं. अब दुनिया भर की एजेंसियां इस पर गंभीर चिंता जता रही हैं.

टेलीग्राम पर आतंकवाद

टेलीग्राम पर कम मॉडरेशन और निजी चैट की सुरक्षा ने इसे आतंकवादी संगठनों के लिए आदर्श माध्यम बना दिया है. इस्लामिक स्टेट (ISIS), अल-कायदा, हमास और हिजबुल्लाह जैसे संगठन अब खुले तौर पर इस प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं. वे न केवल नए सदस्यों की भर्ती करते हैं बल्कि फंड जुटाने और हमलों की योजना बनाने में भी इसका इस्तेमाल करते हैं. टेलीग्राम का यह 'फ्री-स्पीच जोन' अब सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है.

पेरिस हमले ने सब कुछ बदल दिया

2015 में फ्रांस में हुए आतंकी हमले के बाद जांच में सामने आया कि हमलावरों ने टेलीग्राम और व्हाट्सऐप के जरिए अपनी साजिश रची थी. इस हमले में 130 लोगों की मौत हुई थी. उस समय टेलीग्राम के संस्थापक पावेल ड्यूरोव ने कहा था कि 'प्राइवेसी का अधिकार आतंकवाद के डर से ज्यादा महत्वपूर्ण है.' हालांकि बाद में कंपनी ने ISIS से जुड़े चैनल और बॉट हटाने का वादा किया, लेकिन आज भी इसका कुछ अंश प्लेटफॉर्म पर मौजूद है.

उग्रवाद को कैसे बढ़ावा देती है टेलीग्राम की गोपनीयता

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक जांच में सामने आया कि टेलीग्राम पर करीब 1,500 व्हाइट सुप्रेमेसिस्ट चैनल सक्रिय हैं, जिनके करीब दस लाख फॉलोअर हैं. इन चैनलों पर हथियारों की बिक्री, ड्रग्स की तस्करी और आपराधिक गतिविधियों को खुलेआम बढ़ावा दिया जा रहा है. रिपोर्ट में बताया गया कि 16,000 चैनलों से 32 लाख से अधिक संदेशों का विश्लेषण किया गया, जिसमें कई अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क शामिल थे.

टेलीग्राम का बचाव और प्रतिक्रिया

टेलीग्राम की पॉलिसी के मुताबिक कंपनी तभी डेटा साझा करती है जब किसी अदालत का आदेश आतंकवाद से जुड़ा हो. कंपनी के सह-संस्थापक एक्सल नेफ ने बताया कि टेलीग्राम की टीम बहुत छोटी है और सभी गतिविधियों की निगरानी संभव नहीं. खुद पावेल ड्यूरोव ने 2024 में कहा कि 'हम किसी सरकार को यूजर डेटा नहीं देते जो हमारी फ्री-स्पीच वैल्यू के खिलाफ हो.' उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस को भी जानकारी देने से इनकार किया था.

लॉ एनफोर्समेंट और प्राइवेसी पर बहस

टेलीग्राम प्रवक्ता के अनुसार, कंपनी यूजर्स का बहुत सीमित डेटा रखती है और अधिकांश मामलों में वह इसे एक्सेस नहीं कर सकती. हालांकि पुलिस और सरकारें अवैध कंटेंट की रिपोर्ट कर सकती हैं, लेकिन रिपोर्ट की प्रोसेसिंग कंपनी के अपने नियमों के तहत होती है. इस स्थिति ने टेलीग्राम को एक ऐसी जगह बना दिया है जहां प्राइवेसी और आतंकवाद के बीच की रेखा तेजी से धुंधली होती जा रही है.