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Tapas Drones: एयरफोर्स-नेवी के जखीरे में शामिल होगा खूंखार ड्रोन! दुश्मनों की छूट जाएंगे छक्के

Tapas Drones: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की ओर से तैयार किए इन ड्रोन को परीक्षण के लिए भारतीय नौसेना को सौंपा जाएगा. अंडमान निकोबार द्वीप क्षेत्र में इनका परीक्षण होगा.

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Tapas Drones: भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ने वाली है. नौसेना और वायु सेना ने भारत में ही डिजाइन और बने तपस ड्रोन में रुचि दिखाई है. रक्षा अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि भारतीय नौसेना और वायु सेना ने इस ड्रोन की क्षमताओं और कार्यों के बारे में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) से चर्चा की है. 

डीआरडीओ की सेनाओं के साथ बातचीत में तपस ड्रोन की क्षमताओं के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है. उन्होंने बताया कि भारतीय वायुसेना ने इस संबंध में डीआरडीओ को भी पत्र लिखा है. अधिकारियों ने कहा कि डीआरडीओ दो तपस ड्रोन को अंडमान और निकोबार द्वीप क्षेत्र में परीक्षण के लिए भारतीय नौसेना को सौंप सकता है. यदि परीक्षण सफल होते हैं तो भारतीय नौसेना को करीब 10-12 ड्रोन के ऑर्डर देने की संभावना है. उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना इस मुद्दे पर फैसला लेने से पहले ड्रोन के प्रदर्शन को देखेगी.

तपस ड्रोन को और विकसित करने के लिए काम जारी है

डीआरडीओ ने हाल ही में तपस ड्रोन परियोजना को ठंडे बस्ते में डालने की खबरों को भी खारिज किया है. साथ ही घोषणा की है कि तपस ड्रोन को और विकसित करने के लिए काम जारी है. वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान प्रयोगशाला की ओर से विकसित किए जा रहे तपस ड्रोन 24 घंटे से ज्यादा समय तक 30,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं. इसलिए इन्हें मिशन मोड परियोजनाओं की श्रेणी से बाहर रखा गया है.

तपस ड्रोन
डीआरडीओ की ओर से तैयार किया गया तपस ड्रोन. 

अभी 28 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है तपस ड्रोन

उन्होंने कहा कि तपस ड्रोन का रक्षा बलों की ओर से परीक्षण किया गया है. परीक्षण के दौरान वे 28,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंचने में सफल रहे. साथ ही ये ड्रोन 18 घंटे से ज्यादा तक उड़ सकते हैं. डीआरडीओ के अधिकारियों ने कहा कि संबंधित प्रयोगशाला ड्रोन के डिजाइन में सुधार और उसकी शक्ति बढ़ाने पर काम कर रही है, ताकि इसे ऊंचाई पर उड़ान भरने और सभी मानकों पर खरा उतरने के लिए सक्षम बना सके. एएनआई की ओर से कहा गया है कि डॉ. समीर वी कामत के नेतृत्व वाली प्रमुख रक्षा अनुसंधान एजेंसी इस ड्रोन परियोजनाओं पर काम कर रही है.