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India Daily

थिरुपरनकुंद्रम विवाद फिर भड़का, मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद पहाड़ी पर जलाया गया दीप

मदुरै की थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर बुधवार को बड़ा विवाद तब भड़का जब कार्तिगई दीपम पारंपरिक स्थान पर ही जलाया गया, जबकि मद्रास हाईकोर्ट ने इसे एक प्राचीन स्तंभ पर जलाने का निर्देश दिया था.

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Edited By: Reepu Kumari
Tamil Nadu govt to challenge court order as tensions escalate at thirupurakundram hill.
Courtesy: @RShivshankar

तमिलनाडु में कार्तिगाई दीपम पर्व के अवसर पर लोगों में गजब का उत्साह देखने को मिला तिरुवन्नामलाई में हजारों श्रद्धालु पहुंचे. आनंदमलै पहाड़ी पर महादीपम जलाये जाने का भव्य नजारा देखा. लेकिन अब एक और विवाद खड़ा हो गया है.  न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन द्वारा शाम 6 बजे तक 'दीपतून'-एक प्राचीन पत्थर के स्तंभ- पर दीप प्रज्वलित करने के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद, मंदिर अधिकारियों ने इसे सामान्य उचिपिल्लैयार मंदिर मंडपम में ही प्रज्वलित किया.

इस अवज्ञा से एक बड़ा विवाद छिड़ गया और पुलिस और दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं के बीच हाथापाई हुई, जिसमें एक पुलिसकर्मी घायल हो गया. राज्य सरकार ने कानून-व्यवस्था पर चिंता जताते हुए अदालत के निर्देश को चुनौती देने का फैसला किया.

टकराव तब चरम पर

टकराव तब चरम पर पहुंच गया जब याचिकाकर्ता रामा रविकुमार ने अदालती आदेश पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के जवानों के साथ पहाड़ी पर चढ़ने की कोशिश की. मदुरै ज़िला कलेक्टर द्वारा जन सुरक्षा और मौजूदा क़ानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा जारी करने के बाद राज्य पुलिस ने उन्हें रोक दिया.

अदालत के शुरुआती आदेश

इससे पहले बुधवार को, मंदिर प्रबंधन ने अदालत के शुरुआती आदेश के खिलाफ अपील की थी, जिसमें दावा किया गया था कि इस कदम से सांप्रदायिक सौहार्द प्रभावित हो सकता है. जवाब में, न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने सख्त चेतावनी देते हुए निर्देश दिया कि शाम 6 बजे तक दीप जला दिए जाएँ, अन्यथा शाम 6.05 बजे अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू की जाएगी.

अदालत ने मांगा था जवाब

न्यायाधीश ने पूछा, 'आदेश का पालन हो सकता है या नहीं? सीधा जवाब दीजिए.' आदेश का पालन न करने पर न्यायाधीश ने अवमानना ​​कार्रवाई की मांग वाली याचिका स्वीकार कर ली तथा मंदिर के कार्यकारी अधिकारी और मदुरै पुलिस आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया.

जमीन पर माहौल अशांत बना रहा. हिंदू मुन्नानी और अन्य समूहों के कार्यकर्ता मंदिर के सामने इकट्ठा हुए और मांग की कि पीठ के निर्देशानुसार दीपदान पर दीप जलाए जाएं. कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड्स को तोड़कर पहाड़ी पर चढ़ने की कोशिश की, जिससे धक्का-मुक्की हुई और एक पुलिसकर्मी घायल हो गया.

बढ़ रहा विवाद

हिंदू मुन्नानी के एक वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया कि मंदिर प्रशासन ने अदालत द्वारा निर्धारित स्थल पर दीप जलाने की कोई व्यवस्था नहीं की थी. थिरुपरनकुंड्रम पहाड़ी लंबे समय से नाजुक धार्मिक सह-अस्तित्व का स्थल रही है. सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर, मुरुगन के छह निवासों में से एक, और काशी विश्वनाथ मंदिर सिकंदर बदुशा दरगाह के साथ स्थान साझा करते हैं.

क्या है मामला?

फरवरी में एक सांसद द्वारा पहाड़ी पर कथित तौर पर मांस खाने के बाद हिंदू संगठनों के विरोध प्रदर्शन के बाद इस स्थल पर तनाव बढ़ गया था. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हाल ही में तिरुपरनकुंद्रम को 'दक्षिण की अयोध्या' करार दिया है क्योंकि वह तमिलनाडु में अपनी राजनीतिक पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है. पहाड़ी का स्वामित्व जटिल कानूनी और ऐतिहासिक विवाद का विषय बना हुआ है.

सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर 1920 के फैसले के आधार पर लगभग पूरी पहाड़ी पर स्वामित्व का दावा करता है, जबकि दरगाह को मस्जिद और संबंधित संरचनाओं पर मान्यता प्राप्त अधिकार प्राप्त हैं.